बिना कुछ कहे सिर्फ सुनना लाज़मी है ,
बिना कुछ सुने सिर्फ कहना लाज़मी है ,
तुम थे तो जिंदगीमें बहार खिलती थी वीरानेमें भी ,
तुम बिन बहारोंमें भी हंसते नहीं गुल फिज़ाओंके ...
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कुछ तुम न समजे ,
कुछ मेरी भी खता रही है ,
एक तुमसे जुदा क्या हुए ...
जाना की अब जिंदगी भी सजा हो चुकी है .......
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जब चाहा है तुम्हे दिलो जान से
नफ़रतको जताना मुमकिन नहीं
होठो पर तेरा नाम न हो भले मेरे
दिलसे तुझे निकालना मुमकिन नहीं मेरे लिए ......
बिना कुछ सुने सिर्फ कहना लाज़मी है ,
तुम थे तो जिंदगीमें बहार खिलती थी वीरानेमें भी ,
तुम बिन बहारोंमें भी हंसते नहीं गुल फिज़ाओंके ...
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कुछ तुम न समजे ,
कुछ मेरी भी खता रही है ,
एक तुमसे जुदा क्या हुए ...
जाना की अब जिंदगी भी सजा हो चुकी है .......
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जब चाहा है तुम्हे दिलो जान से
नफ़रतको जताना मुमकिन नहीं
होठो पर तेरा नाम न हो भले मेरे
दिलसे तुझे निकालना मुमकिन नहीं मेरे लिए ......
वाह ...बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंजब चाहा है तुम्हे दिलो जान से
जवाब देंहटाएंनफ़रतको जताना मुमकिन नहीं
होठो पर तेरा नाम न हो भले मेरे
दिलसे तुझे निकालना मुमकिन नहीं मेरे लिए
. न भुलाने की मज़बूरी का सुखद अनुभव.
बहुत सुन्दर रचना
behtreen abhivaykti....
जवाब देंहटाएंsundar....!!
जवाब देंहटाएंkhoobsoorat....!!
प्रभावशाली रचना ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
bhaut hi khubsurat....
जवाब देंहटाएंबिना कुछ कहे सिर्फ सुनना लाज़मी है ,
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