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18 नवंबर 2015

औरत : तेरी कहानी (9)

घर लौटे तो लड़के ने ही बोला की मैंने इसे एक सप्ताह का समय दिया है सोचने के लिए  . और उसके बाद ही जवाब देना  . माँ के चहेरे पर चिंता की लकीरें थी  . लड़का मुझसे काफी बड़ा था  . और एक पत्नी बनने के बाद घर की जिम्मेदारीके साथ कॅरियर में ऊंचाई को छूना मुश्किल तो बन ही जाता है  . मुझे दीदी के कर्म की सजा मिलनी थी  . और लड़की के जन्म की सजा भी भुगतनी थी ये शादी करने के बाद  . मैं जानती थी की शुरुआत में तो सब अच्छे से ही पेश आते है पर मेरे शौक के कारण  घर पर देरी से लौटना  , पुरुषों के साथ व्यावसायिक संपर्क में रहना एक पुरुष के इगो को बहुत समय तक रास नहीं आ सकता  . फिर खानदान की इज्जत को बीच में लाया जाता है  ,और संतान को जन्म तो औरत के जन्म को पूर्ण करने के लिए देना ही पड़ता है  .
सोच विचार में आज छः दिन तो चले गए  . कल जवाब देना था और पापा तो हाँ ही बोलने वाले थे  .
शाम को कॉलेज से लौटते वक्त मेरा एक्सिडंट हो गया  एक ट्रक से टकराई  . मेरे दांये पैर में चोट आई और मुझे हॉस्पिटल में दाखिल कराना  पड़ा  . मैंने भगवान का शुक्रिया किया की बात टली  . पापा ने उस लड़के को फोन करके हकीकत बताई  . एक सप्ताह के बाद जब मैं लौटी तो मुझे पूर्ण तरीके से ठीक होने के लिए लकड़ी के सहारे एक साल तक चलने की हिदायत दी गयी थी  . मैं बेहद खुश हुई  . इस के अलावा दूसरी कोई प्रॉब्लम नहीं थी  . मेरी माँ ने इस दौरान पापा को समजाया  की आपके इस फैसले के कारण  मेरी ऐसी हालत हो गयी  . पापा का रुख थोड़ा नर्म हुआ  . दादी ने तो उस लड़के के कदम को ही गलत ठहराया  … बदशगुनी करार दिया  .
एक हफ्ते बाद वो रियालिटी शो की शुरुआत होनी थी  .
रात मैंने पापा से कहा : पापा , मैंने संगीत की इतनी आराधना की है  और वो शो एक हफ्ते में शुरू होना है  . एक साल तक तो शादी होने से रही  . तो फिर मुझे जाने दो न !!! वहां तो स्पर्धकों का पूरा ख्याल रखा जाता है  . अच्छे होटल्स में ठहराया जाता है  . मुझे जाने की इजाजत दोगे  तो मैं ताउम्र आपकी शुक्रगुजार रहूंगी  .
पापा कुछ नहीं बोले  . उठकर अपने कमरे में चले गए  .




31 अक्टूबर 2015

औरत : तेरी कहानी (8 )

मेरा ये कॉलेज का आखरी साल था  . मैंने संगीत महाविद्यालय से भी गायन विभाग में स्नातक की पदवी ले ली थी  . छोटे मोटे इवेंट में मुझे बतौर कलाकार बुलाया जाता था  . इस दौरान मेरे कॉलेज में एक बहुत ही बड़े रिआलिटी  शो में हिस्सा लेने के लिए इवेंट हुआ  . और मेरा सिलेक्शन तय होने की खबर मुझे आज ही मिली थी  . दीदी के कारण  मैं कुछ भी नहीं बोली  . पापा दूसरी सुबह उठे और आँगनमे एक ठन्डे पानी की पूरी बाल्दी  खुद पर उंडेल ली।  जोर से बोले मेरी बेटी आज से मेरे लिए मर गयी है और इस घर के लिए भी  .... मेरे केवल एक ही बेटी है  . अगर कोई बड़ी से रिश्ता रखेगा तो उसे भी इस घर से बहार जाना पड़ेगा  .
घर के माहौल में भूचाल आ गया  . सिर्फ दादी को छोड़ सब हक्के बक्के रह गए थे  … दीदी ने कोई गुनाह नहीं किया था की उन्हें इस तरह सजा दी जाय  .
मेरे सिलेक्शन की खबर मेरी जुबान तक आ ही नहीं सकी  न मैंने माँ से भी बात की  . ये वक्त ऐसी बात के लिए अनुकूल नहीं था  .  दो दिन बाद वो रिआलिटी  शो का एक नुमाइन्दा मेरे घर पर आया  . पापा उस वक्त घर पर ही थे और मैं कॉलेज जा चुकी थी  . पापा ने उसके आने का प्रयोजन पूछा  . सारी बात जानी और ऑफिस चले गए  .  मुझे माँ ने तो बताया पर पापा की कोई प्रतिक्रिया नहीं थी  .
आज शनिवार था  . पापा ने मुझे कॉलेज से जल्दी घर आने को कहा  . मैंने चुप चाप हामी भरी और चली गयी  . पापा ने माँ से कहा की मुझे शाम लड़के वाले देखने आने वाले है  . और मुझे शाम को सब देखने भी आये  . पापा ने उन्हें दीदी के बारे में इत्तिला दी और ये भी कहा की उससे मेरा कोई वास्ता नहीं  . लड़के ने कहा मैं एक बार आपकी बेटी से बात करना चाहता हूँ और वो भी घर से बहार कहीं जाकर  .
पापा मना नहीं कर सके  . उस लड़के के साथ मैं पास के बगीचे में गयी  .
लड़का बोला : देखो ,मुझे तुम्हारी दीदी से कोई लेना देना नहीं पर तुमसे जरूर है  . मुझे ऐसा लग रहा है की दीदी की वजह से तुम्हारी शादी जल्दबाजी में की जा रही है  ज़ो गलत भी है  . मैंने तुम्हे टी वी पर देखा है कई बार  . इस लिए मैं तुम्हे ये पूछना चाहूंगा की क्या तुम आपने शौकको मार देना चाहती हो ??? तुम्हे अपने एक अच्छे कॅरियर की बलि देनी है शादी करके  ???
मैंने कहा : मेरे लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा  . पर मैं दीदी के लिए खुश हूँ  . लाखो में एक भारतीय को ऐसा मौका मिलता है  तो उसके लिए ये बलिदान जाया नहीं जाएगा  . वक्त पिताजी  को अपनी गलती मैंने पर और दीदी को माफ़ करने पर मजबूर कर देगा  .
पापा और दादी को एक बेटे की इच्छा थी  . अब मैंने भी खिलाफत कर दी तो बेटी के जन्म के लिए गलत संदेश जायेगा  . और ऐसा भी हो की ये समाज बेटी को पनपने का मौका ही न दे  !!!
लड़के ने कहा : देखो मैं ये शादी के लिए तभी राजी होऊंगा जब तुम अपना कॅरियर शादीके बाद भी नहीं छोड़ोगी !!! मैं नए ज़माने का लड़का हूँ और मेरी भी जिम्मेदारी है की मेरी होने वाली पत्नी की ख्वाहिशें मेरी भी इच्छा बने  !!!! बस मेरी उम्र तुमसे कुछ ज्यादा है  . तुम्हारे पिताजी ने नहीं बताया होगा की मैं तुम से दस साल बड़ा हूँ  . तुम सोच विचार कर जवाब देना !!!!
और हम वापस लौटे  … 

30 अक्टूबर 2015

औरत : तेरी कहानी (7 )

पापा आज थोड़े देर से घर लौटे थे रात करीब साढ़े दस बजे  . माँ उन्हें कुछ कहे उससे पहले तो दादी का आलाप और रोना धोना शुरू हो चूका  . अब तक तो माँ ने इतने स्वस्ति वचन दादी की जुबानी सुन लिए थे की शायद इस जिंदगी का क्वॉटा खत्म हो जाए  . उस दिन दीदी बोलकर गयी थी की उसकी एक्स्ट्रा क्लास है तो वो बाजु वाली शेफाली और उसके भाई के साथ ही लौटेगी  . सच में एक्स्ट्रा क्लास तो थी और लगभग पौने दस बजे शेफाली और उसके भाई के लौटने के  बाद हंगामा शुरू हो गया  . वो लोग सीधे शेफाली के घर गए  . शेफाली से पता चला की दीदी आज कॉलेज नहीं आई थी  .  बस फिर तो क्या था  सारे  पटाखे आज ही फूटे  .
माँ भगवान के सामने रोये जा रही थी पर उसकी प्रार्थना थी की : जल्दी साढ़े ग्यारह बजे और दीदी की फ्लाइट टेक ऑफ़ हो जाए  . पापा पुलिस में जाने के खिलाफ थे और दादी भी  . मैं तो बस दीदी के बारे में सोच रही थी  . लगभग रात के बारह बजे फोन की घंटी बजी  . दिल्ही वाली बुआ थी  . पापा ने फोन उठाया  . उन्होंने कहा : वीरजी , शायद आप श्रद्धा (दीदी ) को लेकर परेशान होंगे  . पर अभी साढ़े ग्यारह बजे की फ्लाइट से वो अमेरिका जाने के लिए रवाना  हो चुकी  है  . भाई शायद तुम अभी अपने आप को सबसे ज्यादा कोस रहे होंगे पर याद रखना की इसी लड़की के लिए सिर्फ तुम नहीं ये देश भी फख्र करेगा  . तुम अपने हीरे को नहीं पहचान पाये पर मैंने उसका मोल जाना है  . शायद अगर तुम मुझसे अब कोई रिश्ता न रखो तो भी मुझे कुबूल होगा  . और फोन रख दिया गया  .
पापा फटी आँखों से सामने वाली दीवार को तक रहे थे  . मैं अपने कमरे में सोने चली गयी  . मैं इस बात से बेखबर थी की अब इस बात का असर मेरी जिंदगी पर कैसे होने वाला था ????!!!

27 अक्टूबर 2015

औरत :तेरी कहानी (6 )

माँ बोली : सब कुछ तो जानती हूँ मैं की ये गलत हो रहा है पर मेरी सुनता कौन है ??मेरी इस होनहार बेटीके लिए मुझे बहुत चिंता है  . पर अब बेटी फैसला तुम्हे लेना है  ज़ब तक तू हमारा मुंह ताकेगी तब तक यहाँ से तुम्हे कोई मदद नहीं मिलेगी  . मैं तो इतना जानू की तुम्हे तुम्हारी मदद खुद करनी है  . तुम्हारी शादीके लड्डू खाने के बाद लोगो को तुम्हारी जिंदगीमे कोई दिलचस्पी नहीं होगी  . कुछ अच्छा हुआ तो ठीक है और नहीं अच्छा हुआ तो जबरन आकर हमारे घाव कुरेदकर अफ़सोस जताने चल पड़ती है दुनिया  .
आज और अभी तू फैसला कर  . इधर कुआँ है और उधर खाई  . तुम्हे या तो घर मिल सकता है या तुम्हारी मंज़िल।  अगर घर चुनती हो तो तुम्हे तुम्हारी मंज़िल को भूलना पड़ेगा और ये गलत होगा  . तुम्हारे लिए और हर बेटी के लिए  … और अगर तुम मंज़िल चुनती हो तो मुझे कहना होगा की हर इंसान का जो सपना हो सकता है ऐसे देश की धरती पर तुम जो पढ़ने जाओगी वो हर बच्चे के लिए मुमकिन नहीं  . सिर्फ और सिर्फ अपनी होशियारी के बलबूते पर तुमने वजीफा पाया है  . तुम्हे हमारे पर निर्भर होने की कोई आवश्यकता भी नहीं है  और सबसे ज्यादा तुम वो शिक्षा पाना चाहती हो  . मैं कहूँगी हम सबको भूल जा और जा बेटा तुम्हारी नयी मंज़िल तुम्हारी राह देख रही है  । तू हमारी चिंता मत कर  . हमारी दुआएँ तुम्हारे साथ ही है और रहेगी  .
दीदी : पर ये छोटी का भविष्य ???
माँ : अगर तू सफल हुई तो उसके भविष्य पर कोई चिंता नहीं  पर हर लड़की अपनी किस्मत लेकर ही आती है  . बेटी तेरी सफलता यहाँ हजारों लड़कियों के जीवनमे उम्मीद के दिए जलायेगी  . इस लिए तू कुछ मत सोच बस जा  . और बुआ जी को दिल्ही के बस अड्डे पर छोड़ने के बहाने तू भी निकल जा  क़ोइ सामान मत लेना  . बुआ सारा इंतज़ाम कर देगी  …
बुआ और मेरे लिए माँ का ये रूप नया था  . दूसरे दिन सुबह बुआ तैयार हुई और उन्होंने तब जाने को बोला जब पापा उन्हें छोड़ने नहीं जा सकते थे और दीदी के कॉलेज का वक्त था  . इस लिए दादी ने दीदी से बस अड्डे जाने को बोला  . हम अपने भीतरी एहसास को दबाकर सिर्फ बुआ को हाथ हिलाकर बिदाई दे रहे थे  . आंसू को रोक लिया  .  और दीदी को जाते हुए देख रहे थे  .......
शाम को दीदी घर नहीं लौटी तो शुरू हुआ तूफान। ।

5 अक्टूबर 2015

औरत :तेरी कहानी (5)

बुआ आई।  घरका माहौल देखा। वो समज गयी की कुछ गरबड़ जरूर चल रही है।  रात वो दादी के कमरे में सो गयी। दादी से पूछा क्या हुआ है ?? दादीने सारी बात बताई। बुआ चुपचाप सुनती रही। जब दादी का बोलना ख़त्म हुआ तब बोली : फिर वही मंजर !!! माँ ,अब वो जमाना नहीं रहा।
दादी बुआ को डांटते हुए बोली : तू अपने संसार में ध्यान रख।  इधर की बातमे पड़ने की जरुरत नहीं तुम्हे।
बुआने कहा : माँ मैं भी पढ़ना चाहती थी पर आपने ऐसे ही मेरी जबरन शादी करवा दी थी। आपका दामाद कुछ खास पढ़ा लिखा नहीं था और पैसे बहुत थे वो देखकर मेरी शादी कर दी।  लड़का बाप बनने की क्षमता नहीं रखता था वो बात शादी के बाद पता चली। मैं रोती बिलखती घर आई तो आपने मुझे कहा अब ये तुम्हारा घर नहीं वो है और वहीँ से तुम्हारी अर्थी उठेगी।  मुझे मेरे नसीब पर छोड़ दिया। हमारी माली हालत बिगड़ गयी क्योंकि उनको उनके अपनोने ठग लिया और हमें रस्ते पर निकाल दिया था।  क्या तुम सब भूल गयी ??? तुम कितना रोती थी पर मेरे घर आने पर तुम्हे आपत्ती हुई थी। फिर दोजख की जिंदगी जीते जीते वो भी चल बसे और मैं एक रूम किराये पर लेकर सिलाई कढ़ाई से कमाने लगी  ...तुमने मुझे पढ़ाया होता तो ये मेरी हालत नहीं होती।
दादी मुंह फेरकर सो गयी  . दूसरे दिन मेरी दीदी को बुखार था। बुआ कमरे में आई। दीदी उनको लिपट कर रोने लगी। बुआ उन्हें पसवार रही थी। घरमें मैं दीदी को हालत समझती थी पर लाचार थी।
रात पापा घर पर आये। टी वी पर एक शो चल रहा था जिसमे यु पी एस सी में टॉप करने वाली एक डिफरेंटली एबल लड़की का साक्षात्कार चल रहा था।
बुआ जानबूझ कर बोली : हर किसी को ऐसी होशियार संतान कहाँ मिलती है और जिसे मिलती है उसे कदर नहीं होती। बस बेटी है ब्याह दो तो काम पूरा हो।  फिर बेटी की किस्मत !!! उसके सुख दुःख में खोखले दिलासे देकर अपना फ़र्ज़ पूरा करो।  यहाँ पर तो लोग कितना कर्जा लेकर अब बेटीको विदेश भी पढ़ने भेजते है और जब लौटी है तो वही समाज उन्हें पलकों पर बिठाता है। और यहाँ तो एक नए पैसे का खर्च नही करना तो भी लोग उसी दकियानूसी समाज की रिवायत निभाने में लगे पड़े है। खुद की संतान को जब दुःख पड़ता है तब ये समाज आंसू तो नहीं पोंछता पर घाव कुरेद कर नासूर बनाता है।  अपनी बेटी की दुर्दशा के लिए ऐसे माँ बाप को भी सजा का प्रावधान होना चाहिए।
पिताजी गुस्से में चिल्लाये : अब अपनी बकवास बंद कर !!!! तुम क्या जानो की बेटी के बाप होने की तकलीफ क्या है ??
बुआ ने ठंडक से कहा : भले मैं माँ नहीं बनी पर एक बेटी तो थी। और अपने माँ और बाप के निर्णय की भोग भी बानी हूँ।  जिस दिन बाप बनकर नहीं पर एक बेटी की नजर से सोचोगे तो तुम्हे मालूम होगा की बेटी भी संतान होती है जिसे अपने भविष्यको खुद चुनने का हक्क है !!!
और माँ की तरफ देख कर बोली :आप तो एक औरत हो भाभी क्या आप अपनी बेटी के भविष्य को यूँ ही अंधकार में धकेलने के पाप में सहभागी होगी ????
पिताजी और दादी गुस्से में अपने अपने कमरे में चल दिए और माँ बोली :………

2 अक्टूबर 2015

औरत : तेरी कहानी (4 )

दीदी  को अब घरके काममें माँ का हाथ बंटाना पड़ता था।  दीदी पढाईमे  तेज थी।  कक्षामे अव्वल आती थी। और मैं साधारण थी। मैंने एक रात दीदी से पूछा : दीदी आप बड़ी होकर क्या बनना चाहती है ??
दीदी बोली :मुझे अवकाश विज्ञानी बनना है। मुझे कल्पना चावला  जैसे अवकाश  जाना है।
मैंने पूछा :  उसके लिए  ढेरो पैसे लगेंगे। हमारे पास तो नहीं है।
दीदी  बोली : अगर मैं बहुत अच्छे नंबर से आउंगी तो मुझे सरकारसे वजीफा मिलेगा।
दीदीकी आकाशके बारे में जानकारी अच्छी थी। वो इंटरनेट पर बहुत कुछ पढ़ती भी थी।
दीदी 10 वी कक्षामे पुरे राज्य में पांचवे क्रमांक पर आई। पापा ने बारह्वी कक्षा तक कुछ नहीं कहा। दीदी ने अवकाश विज्ञानं  पढाई के लिए जरुरी तैयारी करनी शुरू कर दी। दीदीने आगे पढ़ने  के लिए अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में टेस्ट दिया था चुपके चुपके और उनके पढ़ने का रहने का सारा खर्च यूनिवर्सिटी उठनेवाली थी और वहां से आकाश का रास्ता खुल जाएगा ये सपना दीदी सोते जागते देखती रहती थी।
पर उस वक्त हमारे  समाज के अच्छे घर से एक रिश्ता आया। पिताजी  और दादीजी ने तुरंत रिश्ता पक्का भी कर दिया दीदी से पूछे बगैर।
उस दिन दीदी बहुत रोई ,गिड़गिड़ाई  की उन्हें पढ़ने दिया जाय। उनके कॉलेज  प्रिंसिपल भी पिताजी  समजाने आये पर कोई नहीं माना। दीदी  के सपने तो उनकी आँखों में ही टूट गए। पिताजी ने कहा की अव्वल  मैं उसे दूसरे शहर पढ़ने तो भेजूंगा ही नहीं और ये लड़के के घर वाले दान दहेज़में कुछ भी नहीं चाहते।  दो बड़ी कोठी है और तीन फैक्टरी है। बेटी तो महारानी की तरह रहेगी। पढ़कर भी वो चूल्हा चौका ही करेगी न !!! कम से कम उसे यहाँ पर पैसे की चिंता  तो कभी न होगी। वैसे भी  सयानी लड़की  के हाथ जितने जल्दी पीले हो जाय उतना अच्छा। बस लड़के पहली शादी टूट चुकी थी और उम्र में दीदी से 12 साल बड़ा था। पर ये थोड़े ही देखा जाता है दादी के और पिताजी के राज में ???!!! माँ तो बिचारी मन  मनमें रोती रहती थी। उसके लिए तरफ पतिकी इच्छा थी और दूसरी तरफ बेटीके अरमानों का कफ़न !!!
दीदीकी आँखे सुनी पड़ चुकी थी। अब तो वो हंसना बोलना भी कम कर चुकी थी। वो समज चुकी थी की आकाश के तारे कभी हाथमे नहीं आ सकते। पिताजी ने शादीकी तारीख पक्की कर दी वो ही दिन एक मेल आया जिसमे दीदीकी पढाई  अमेरिका में एडमिशन गया था  . और वो लोग वीज़ा और टिकट सात दिन बाद भेज रहे थे  .
उस दिन मेरी बुआ दिल्ही से आई  ………।

1 अक्टूबर 2015

औरत : तेरी कहानी (३)

अब मैं दस साल की हो चुकी हूँ और मेरी दीदी बारह साल की  . अब दीदी में बदलाव आ रहा था  . माँ कहती थी दीदी अब रजस्वला होने लगी है इस लिए अब उसे महीने के वो दिनों में अलग रखा जाता है  और वो किसी चीज को छू नहीं सकती। उसे अलग थाली मिलती है।  हां वो स्कुल जाकर ये नियम नहीं पालती।  मैंने माँ से पूछा तो कहा ये तुम बड़ी होगी तो समज जायेगी।  अभी तो तू खेल ले।
दीदी और मैं एक कमरे में सोते थे।  दादी तो अब पुजवाले कमरे में सोती थी।  दीदी से उसी कारण प्रॉब्लम होती थी उन्हें।  दीदी सुबह उठकर खिड़की पर खड़ी  होती थी।  सामने के घरमे अमर भैया रहते थे जो दीदी की कक्षामे ही पढ़ते थे।  और वो सुबह में छत में कसरत करते थे।  पता नहीं दीदी जब खिड़की खोलती थी तब वो हमारे घरकी तरफ देख रहे होते थे।  मुझे तो सुबह जल्दी संगीत क्लास में जाना होता था इस लिए मैं तो फ़ौरन नहा धोकर चली जाती थी।  फिर वहां से ट्यूशन और फिर स्कुल। सब पास पास ही था तो पैदल ही जाना होता होता था। दीदी का कोचिंग क्लास दूर था तो वो सायकल पर जाती थी। कभी कभी दीदी ख्यालों में इस कदर खो जाती थी की मेरे गणित के प्रश्न पूछने और सिखने के लिए मुझे उन्हें हिलाना पड़ता था और दीदी चौंक जाती थी।  पता नहीं दीदी को क्या हो जाता था।  मुझे तो दादी भी याद आती तो मैं तकिया लेकर कभी कभी उनके साथ सोने चली जाती थी।
अब दीदी पर बहुत सारी पाबन्दी लग गयी थी। वो जींस और टी शर्ट की जगह सलवार कुरता ही पहनती थी। दुपट्टा उनके लिए कम्पलसरी हो चूका था। उनको शाम छः बजह से पहले घर आ ही जाना पड़ता था। उनको हमेशा कहीं बहार जाना हो तो उनको माँ के साथ या मेरे साथ ही भेजा जाता था। मैं कभी माँ से या कभी दादी से पूछती तो वो मुस्कुरा देती पर जवाब नहीं देती। दादी कहती थी वो सयानी हो चुकी है इस लिए उसे अब अपना रहनसहन बदलना पड़ता है। मैंने डिक्शनरी निकाली और अर्थ देखा तो लिखा था समझदार। तो क्या दीदी अब तक बुध्धू थी ?? नहीं वो तो अपनी कक्षामे प्रथम आती थी तो ये सयानी का मतलब क्या ?????

23 सितंबर 2015

औरत तेरी कहानी (२)

पर माँने तो दुनिया देखी  है इसी लिए वो खिलाफत करने का साहस उठा नहीं पायी और फोन रख दिया  . पर हाँ  मेरा काम डॉक्टरने आसान कर दिया और मुझे इस दुनिया में आनेका विज़ा दिलवा ही दिया  . मेरा जन्म होते ही माँ मुझे लिपट कर खूब रोई  . मुझे बाहर लाया गया और मेरे परिवारसे मेरी मुलाकात हुई  . नाना नानी आये थे ,दादी तो घर पर ही थी  . मेरे पापाने मुझे गोदीमें उठाया   . उनके खुरदरे हाथमें मेरे लिए प्यार तो था पर मेरे अस्तित्व को लेकर ढेर सारी चिंता भी मैंने महसूस की  . दुनियामे आकर शायद पहली बार मैंने जाना की पप्पा भी प्यार तो करते है पर ठोस जमीं पर उनकी जिम्मेदारियाँ उन्हें प्यार जताने का मौका नहीं देती  .
मेरी दो साल बड़ी दीदी के साथ मैं भी बड़ी होने लगी  .
मेरी दादी मुझसे पहले तो दूर रहती थी  . पर रोज मैं बगीचे से उनके लिए पूजा के फूल लेकर आती थी  ,उनके साथै पूजा करती थी  ,उनके ऐनक ढूंढकर देती थी  . और उनके पास बैठकर उनकी बातें भी सुनती थी  . उनका गुस्सा मेरे लिए प्यार में तब्दील होने लगा था  . वो मुझे खुलकर प्यार तो नहीं जता पाती थी पर वो मेरे बिना रह भी नहीं पाती थी ,वो मुझे ढूंढती थी।
मैं जब चौथी कक्षामे आई तो मेरी पाठशाला में संगीत स्पर्धामे मैंने हिस्सा लिया  . मेरी दादी के साथ बैठकर गए भजन में से मेरा एक प्रिय भजन " मेरे तो गिरिधर गोपाल " मैंने जब गाया  तो सब छात्रों और शिक्षको को बहुत पसंद आया  . मुझे पहला इनाम मिला  . मैं घर गई तो दादी बाहर गयी थी  . मैंने किसीसे कुछ भी नहीं किया पर मैं दरवाजे पर बैठकर दादी की राह देख रही थी  . दादी उस शाम बहुत देर से घर आई  . पापा भी आ चुके थे  . मैंने कुछ भी नहीं खाया  ,माँ मनाती  रही  . और दादी की राह देखते देखते मैं वहां पर ही सो गयी  ज़ब दादी आई तब मुझे माँ ने उठाया खाना खाने के लिए   . और दादी को बताया की किस तरह मैं बेसब्री से उनकी राह देख रही थी  !!!
मैं भागकर कमरे में गयी और बस्ते में से मेरी ट्रॉफी निकालकर सीधी दादी के पास गयी  और उन्हें बताया : दादी ,ये ट्रॉफी आपके लिए है  . आपका वो भजन गाकर आज मुझे पहला इनाम मिला  …
सच कहूँ तो दादीने  पहली बार मुझे बहुत ही प्यारसे गले लगाया !!!!!!और वो बहुत खुश हो गयी  . घरमे सब खुश हुए खास करके पिताजी  …
आपको नहीं लगता की ये प्यारकी जादू वाली जप्पी पाने के लिए मुझे चार साल इंतज़ार करना पड़ा  । पर क्यों ???  मैं लड़की थी इस लिए ???????


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