1 अक्तूबर 2015

औरत : तेरी कहानी (३)

अब मैं दस साल की हो चुकी हूँ और मेरी दीदी बारह साल की  . अब दीदी में बदलाव आ रहा था  . माँ कहती थी दीदी अब रजस्वला होने लगी है इस लिए अब उसे महीने के वो दिनों में अलग रखा जाता है  और वो किसी चीज को छू नहीं सकती। उसे अलग थाली मिलती है।  हां वो स्कुल जाकर ये नियम नहीं पालती।  मैंने माँ से पूछा तो कहा ये तुम बड़ी होगी तो समज जायेगी।  अभी तो तू खेल ले।
दीदी और मैं एक कमरे में सोते थे।  दादी तो अब पुजवाले कमरे में सोती थी।  दीदी से उसी कारण प्रॉब्लम होती थी उन्हें।  दीदी सुबह उठकर खिड़की पर खड़ी  होती थी।  सामने के घरमे अमर भैया रहते थे जो दीदी की कक्षामे ही पढ़ते थे।  और वो सुबह में छत में कसरत करते थे।  पता नहीं दीदी जब खिड़की खोलती थी तब वो हमारे घरकी तरफ देख रहे होते थे।  मुझे तो सुबह जल्दी संगीत क्लास में जाना होता था इस लिए मैं तो फ़ौरन नहा धोकर चली जाती थी।  फिर वहां से ट्यूशन और फिर स्कुल। सब पास पास ही था तो पैदल ही जाना होता होता था। दीदी का कोचिंग क्लास दूर था तो वो सायकल पर जाती थी। कभी कभी दीदी ख्यालों में इस कदर खो जाती थी की मेरे गणित के प्रश्न पूछने और सिखने के लिए मुझे उन्हें हिलाना पड़ता था और दीदी चौंक जाती थी।  पता नहीं दीदी को क्या हो जाता था।  मुझे तो दादी भी याद आती तो मैं तकिया लेकर कभी कभी उनके साथ सोने चली जाती थी।
अब दीदी पर बहुत सारी पाबन्दी लग गयी थी। वो जींस और टी शर्ट की जगह सलवार कुरता ही पहनती थी। दुपट्टा उनके लिए कम्पलसरी हो चूका था। उनको शाम छः बजह से पहले घर आ ही जाना पड़ता था। उनको हमेशा कहीं बहार जाना हो तो उनको माँ के साथ या मेरे साथ ही भेजा जाता था। मैं कभी माँ से या कभी दादी से पूछती तो वो मुस्कुरा देती पर जवाब नहीं देती। दादी कहती थी वो सयानी हो चुकी है इस लिए उसे अब अपना रहनसहन बदलना पड़ता है। मैंने डिक्शनरी निकाली और अर्थ देखा तो लिखा था समझदार। तो क्या दीदी अब तक बुध्धू थी ?? नहीं वो तो अपनी कक्षामे प्रथम आती थी तो ये सयानी का मतलब क्या ?????

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