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8 जुलाई 2012

उस जुनूंको...

कश्तियाँ ये कांचकी समयकी लहरों पर बहती हुई ,
बस दीखता है आर पार हर लम्हा पर छू नहीं पाते ...!!!!
कुछ खलिशसे भर गयी है जिंदगी खारेसे पानीसे ,
प्यास तो है मगर एक घूंट उसका भर नहीं पाते ...!!!!
न जाने कौनसी यादोंमें तड़प तड़प जीना पड़ेगा ,
ये तो कभी जानने को कोशिश नहीं की हमने ,
मगर उससे बिछड़कर यूँ तनहा तनहासे
सिर्फ यादोंसे मुखातिब  होकर हम जी नहीं पाते !!!!!
बहुत गहरी चोट लगी है दिल पर कुछ ऐसे इस बार ,
हर खुबसूरत लम्हा याद करने की कोशिश करने पर भी ,
उससे सामना होते हुए भी जो खो चुकी है उस हंसी को
हम बेबस होकर ढूंढ नहीं पाते ...!!!!
नाम है उसका ,पता भी उसका ,उसके ही शहरमें रहते हुए भी ,
उसकी गलीसे गुजरते वक्त  उसके घर को देखने की चाहत भी ,
हर जर्रे जर्रे पर लिखी हुई प्यारकी वो दास्ताँ के निशान भी ,
पर वहीँसे लौटकर दूर जाते हमारे कदम को हम रोक नहीं पाते !!!!!
मेरे प्यार का  न नाम देना कोई किसीको भी ,
उस जुनूंको हम प्यार का नाम दे नहीं पाते !!!!
बेवजहसी इस जिंदगीको कोई वजह और क्या होगी जीने के लिए ,
उस पर मेरी मौतका इलज़ाम भी लगा नहीं पाते !!!!

14 मार्च 2012

छुपी चिंगारी है...

एक राखके ढेरमें छुपी चिंगारी है ,
नाकाम मोहब्बतके नाम एक अश्क की बूंद ....
बस खुद ही गुनहगार थे और खुद ही फैसला सुना दिया ,
खुदके गुनाह को छुपानेके लिए हमें कातिल ठहरा दिया .....
बस एक इल्तजा है एक बार जाकर
आयनेके सामने खुदकी नज़रसे नज़र मिला तो लो ....
तुम्हारी नज़रे ही गवाही देगी की 
हम बेगुनाह थे ,है और रहेंगे ....
क्योंकि प्यार कभी अपनी फुर्सतमें जताने की चीज नहीं ,
प्यार कभी सहूलियतमें जताने की चीज नहीं ,
एक बार प्यार का ऐतबार दिलाकर ऐतबार तोड़नेकी चीज नहीं ,
खुदकी बेवफाईका दाग कोई पाक दामन पर लगाने की चीज नहीं .......
अगर समज ही नहीं पाए हो तो प्यार क्यों करते हो ???
किसी बेकसूरको सरेआम बदनाम क्यों करते हो ???
जिसका जवाब है तुम्हे खुद को मालूम वो सवाल दुनिया को क्यों करते हो ???

17 फ़रवरी 2012

बस दो किनारोंके बीच...

कभी कोई अजनबी अचानक मिल जाते है रस्ते पर ,
आँखोंसे होकर दिलमें घर बनाकर बैठ जाते है ,
हम पर हमारा ही बस नहीं नहीं रहता क्यों ?
बस उसकी गैरमौजुदगीके आलममें
जिंदगी एक कोनेमें सहमकर सिमटकर बैठ जाती है ................
वैसे तो रोज रोज हम साथ चलते है ,
नदीके दो किनारोंकी तरह ,
महसूस करते है एक दुसरेकी मौजूदगी दुसरे किनारेसे ...
पर जब कहा उसने मैं नहीं हूँ दो दिन ...
शायद मेरा वक्त वहीँ रुका है ,
आगे चलने के लिए तैयार ही नहीं ....
शायद वो भी उसका आलम होगा
जब उसे छोड़ मैं अकेली चली गयी थी दूर कहीं !!!
अब इंतज़ार उसके लौटने का ....
उसे फोन भी कैसे करे ???
दोनों किनारोंके बीच नेटवर्क नहीं मिलते कभी ...
बस दो किनारोंके बीच बहती है जीवन धारा.....

15 फ़रवरी 2012

कोई कोई एहसास

कोई कोई एहसास खास नहीं होता ,
जब कोई किसीके पास नहीं होता ...
एक तन्हाईके आलममें कुछ पल होते है
बिखरे बिखरे जो मुझे समेटे रखते है ......
मेरी यादोंके हर पन्ने पर
उसके दस्तखत है ,
मेरी यादोंकी हर खिड़की पर
उसकी यादोंके पहरे है .....
मेरी यादोंके दरवाजे पर
हर वक्त उसके दस्तककी आहट भी है .....
मेरी यादोंके सारे साजोसामान पर 
उसके स्पर्शकी यादें है ....
आँखोंमें इंतज़ार है उस परदेसी का ,
जो मुझे अलविदा कहकर चला गया
मुझसे कहीं दूर...दूर ...दूर ....
बस एक सवाल छोड़कर मेरे लिए :
क्या उसे भी मेरे साथ गुजरे लम्हे याद आते होंगे ?????

31 अगस्त 2010

उम्मीदसे दुनिया कायम है ...

कहीं कोई उम्मीद बाकी है
वर्ना रोज खिड़की पर निगाहें नहीं दौड़ जाती !!!!
कहीं कोई उम्मीद बाकी है
वर्ना इंसानियतका नर्म चेहरा यूँ नज़र नहीं आता !!!
कहीं कोई उम्मीद बाकी है
वर्ना तुम पर यूँ ऐतबार कायम ना होता !!!!!
कहीं कोई उम्मीद बाकी है
ना उम्मीदीकी सारी वजह के बाद हमारी यूँ मुलाकात नहीं होती !!!!!

29 अगस्त 2010

धोखा

उसकी मुस्कराहट हमें हरदम धोका देती रही ,
हम समजते रहे वो खुश रहती है हरदम ,
अश्कोंकी एक जुबाँ होती है चाहे ख़ुशी हो या गम ,
बस एक अदना सी इंसान है वो कोई खुदा नहीं ,
कसक होती होगी उसे भी बस ये गलतफहमी हो गयी एक पलमे

18 अगस्त 2010

हमतुम वही

वही वादियाँ ,वही गली कुचे ,वही हम तुम !!!!
फिर भी रोज अजनबीसे
मिलते बिछड़ते
याददास्तकी किवाड़ोंके पीछेसे
बकाया कुछ अफसाने
दस्तक अभी देते रहते है मुझे ....
पूछते हुए पहचाना मुझे ???
मुंह फेर कर चले जाना मुनासिब होगा ...
फूलों की चाहतमें एक बार और
शोलोंकी लपटोंको छू लिया था ...
उन छालोंकी जलन नासूर बनी है इस दिल पर
वो रातके कम्बलको लपेटे
तकिये के निचे दबी सिसकिया
अभी ताज़ा है एक अश्क बनकर आँखों के कोने पर ....

13 अगस्त 2010

घाव

अय दिल देख वो तेरा दोस्त हमेशाके लिए जा रहा है
तुमसे दूर बहुत दूर....
कितने पत्थर दिल हो तुम ?
तुम तो ऐसे ना थे !!!!!
क्या कहूँ इन मासूमोंसे ....
देखो ये घाव मेरे सर पर ....
पट्टी रंगी हुई है लाल रंग से ....खून से .....
मैंने भी उस पत्थर दिल से टकरा टकरा कर इल्तजा की थी
रुक जा ...रुक जा .......
वो लौट आया ...वापस आया .......
सर का घाव याद दिलाता रहा उसकी चोट ....
घाव ना भर पाया ...

12 अगस्त 2010

जिन्दा हूँ !!!!

मैं जिन्दा हूँ ये एहसास दिलाना पड़ता है खुद को हरवक्त ....
पता नहीं ये किस मोड़ पर जा चुकी है जिंदगी
पता ही नहीं चलता की ख़ुशी है या गम इन राहों में ....
जिंदगी यूँ दोराहो पर ना छोड़
या तो पूरी तरह गमके कांटे बन बिछ जा जिंदगी में
या फिर फूलों की चादर बनकर बिखरती रह यहाँ .....
तड़प गया हूँ .घुटन हो गयी है ....
बस एक सांस दे दे ...एक सदा दे ....

8 अगस्त 2010

ये दिल तो ??!!

दफन करके लौटा हूँ
वो सारी मुलाकातें तुम्हारी ,
यादें तुम्हारी ,किस्से तुम्हारे ,
तुमसे निजाद पाने का एक रास्ता ये भी था ......
==================================
नयी कोपलें फुट कर बाहर आ गयी
जहाँ मेरे अरमान दफन थे ,
फिर सहेजे उसे अहेसासकी बूंदोंसे
फिर दिल ज़ख्मवार होने बेताब था तो ....

6 अगस्त 2010

उसे खो दिया ....

मेरी खुली खिड़की पर वो रोज आकर
खड़ी हो जाती थी बिना कुछ कहे ...
फिर एक आवाज लगाकर भाग जाती थी ......
जब पहले मुझे फुर्सत होती थी मुझे
ये हरकत भातीथी उसकी ....
अब तो मैं बड़ा आदमी हो गया हूँ ...
मुझे थोड़े वक्त में कितने सारे काम करने होते है ......
मैं कितने लोगोको खुश करने में लगा रहता हूँ ....
क्योंकि मैं सफल कहलाना चाहता हूँ .....
अब भी वो आती है , आवाज लगाती है ...
अब उसकी हरकत मुझे ना भाती है ....
उसे कुछ ना कहते हुए बस उसे टालना शुरू किया ......
एक दिन अचानक ....
उसने आना बंद कर दिया ....
ना आने का कोई बहाना भी ना किया ....
बस खुली खिड़की भी उसका इंतज़ार करने लगी मेरी तरह ....
पर वो ना आई .....वो ना आई ....
अब सोचा मैंने भी ...
क्या माँगा था उसने ??? कुछ नहीं ...
कभी कोई गिला नहीं कोई शिकवा नहीं बस दे जाती थी
एक प्यारी सी मुस्कान एक मीठी सी आवाज ....
आज दूसरों को खुश करते हुए मैंने उसे ही नाराज़ कर दिया ....
पूरी दुनिया को पाने की धुन में उसे ही खो दिया ...

4 अगस्त 2010

चाह ...

आज आसमांके आंसू की भाषा समजी
बेबस थे वह भी ,ना जाने वो संदेस
जो भेजा था किसी बावरीने पियाको अपने ,
बूंदोंके साथ कहीं फिसल गया .......
===============================
बस एक चाह बन गयी है
तुम्हे भूल जाऊं
सब कुछ भूल गया हूँ
बस तुम्हे भुला ना पाया ....

3 अगस्त 2010

वो फिर ना आएगा कभी ....

बज़्म सजी थी ...
एक हुजूम था दोस्तोंका ...
नज्मे मेहमान बनकर आई थी ,
इरशाद और अर्ज़ किया है की गुजारिशे थी ........
वो आया ...
दरवाजे पर खड़ा रहा था ....
उससे नज़र मिली ,पर वो तशरीफ़ ना लाया ...
बज़्म मैंने भी न छोड़ी ये सोचकर कि मिल लेंगे बाद में ...
वो लौट गया ....खाली खाली निगाहें लेकर .....
दुसरे दिन उस वक्त नज़र दरवाजे पर गयी ,खाली लौटी ....
फिर निगाहें दरवाजे को तकती और खाली हाथ लौटती रही .....
अब तो भरी बज्मे भी खाली महसूस होने लगी थी ....
अब तो नज्मे भी बे मतलब लगने लगी थी .....
भरी महफ़िल भी तनहा करने लगी थी ......
रस्ते पर पसीना पोंछने रुमाल निकाला ....
ये वही रुमाल था जिससे उसने मेरे आंसू पोंछे थे ....
मैं जिंदगी हार गया था तब जीत की उम्मीद दिलाई थी .....
उसे संदूकमें संभालकर रख दिया कीमती जेवर के साथ ....
अभी भी लौटती है नज़रें खाली हाथ दरवाजे से होकर .....
वो अब फिर ना आएगा कभी ये संदेसा लेकर ....

30 जुलाई 2010

तुम आओगे ना ?????

एक लम्बा अरसा हो गया तेरा दीदार किया था ,
एक मुद्दत तक मेरे दिलने तुझे चाहा था ,
उस बेकरारी में भी एक करार था ....
वो हकीकत थी या सिर्फ मेरे मन का वहम था ???
पर जो भी था बड़ा ही लाजवाब था ....
वो गली के नुक्कड़ पर तेरी झलक के लिए
घंटो बेवजह हम खड़े हो जाते थे ...
तेरा दीदार हमारे लिए दिन के वक्त में चांदनी का खुमार था .......
ये मुद्दत का हमें आज भी इंतज़ार है ...
आज भी तेरे लिए ही ये दिल इतना बेक़रार है .....
तुम आओगे ना ????

29 जुलाई 2010

एक तलाश

तलाश है जो पूरी नहीं होती
राह है जो ख़त्म नहीं होती
फिर भी तलाश ख़त्म नहीं होती
ये राह है जो पूरी नहीं होती ....
शायद जिंदगी का पहला पल
जिन्दा रखता है हमें यूँही
क्योंकि तलाश ख़त्म जिंदगी ख़त्म
राह पूरी और मंजिलें गुम .......

28 जुलाई 2010

ख़ामोशी ....एक लहर ...

दिल टूट गया ख़ामोशीसे
किरचे चुभी जब नंगे पाँवमें
लहू के कतरे बहे कुछ
तब जाकर पता
ना वजह पता चली
ना पता चला ये कौन तोड़कर चला गया ???
पर एक हलकी सी मुस्कान लहरा गयी
देखो कितने सारे दिल बिखरे है फर्श पर
जो कभी एक ही हुआ करते थे ...

26 जुलाई 2010

क्या जानो ???

क्या जानो आप की जुबान किसे कहते है ???
क्या जानो लब्जों को जो बेजुबान रहते है ???
क्या जानो उन सवालोंको जिसके कोई जवाब नहीं होते है ????
क्या जानो उन बंदगी को जो पत्थरसे टकराती है ????
क्या जानो उन आवाजोका गम जो बहरे कानोसे टकराती रहती है ????
क्या जानो उन अश्कका दर्द जो हँसते लबोंसे आते है ????
क्या जानो उन तनहाई को जो मेले में मिल जाती है ????
क्या जानो उन अपनोंको जो गैरोंसे पेश आते है ????
मैंने पा लिया है एक जहाँ वहां जहाँ मेरी सदा आसमांसे टकराती है ........
कांचकी दीवारोंके पार खुले जहाँसे बात कर आती है .....

25 जुलाई 2010

कोई ये कैसे बताएं !!??

कोई ये कैसे बताएं की वो तनहा क्यों है ?????? एक फिल्म अर्थ की ये बेहतरीन ग़ज़ल है ..........
तो शायद इस का जवाब देने की कोशिश की मैंने ............
तलाश एक हाथ की जो साथ दे उम्र भर के लिए
वो प्यास जो अनबुझ ही रहे जाम हाथ में ही लिए
दरियाके किनारे लहर दूर जाती नज़र आये उसे छूते ही
प्यार वो ही ना दे पाए जिससे उम्मीद कर बैठे उसकी
चाह उसको ना हो हमारी जिस पर फ़ना हो जानेकी थी कसम हमारी
दिल तो धडकता हो पर जिसमे उसका नाम ना सुनाई दे
हमारे जनाजे को भी रहे उसका इंतज़ार हो
और वो हमारी अंतिम ख्वाबगाह पर ना आये कभी


फिर भी देखो बड़ी शिद्दत से जी लिए हम ये जिंदगी तुम बिन
तनहाई को भी सजा लिया तेरी फुरकतसे हमने भी
एक उफ़ ना की एक आह ना निकली कभी इस दिलसे कभी
बस ये सोच लिया हम मिले ही ना थे कभी
कोई ये कैसे बताये की वो तनहा यूँ है .....

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...