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18 सितंबर 2015

वक्तकी ऊँगली

एक चाहतका बुलबुला दिलकी सतह पर ,
इंतज़ार करता रहा चाँद के दीदार का  …
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वो बेखबर बैठे रहे तकल्लुफ करते हुए  ,
और प्यार के इज़हार का मुहूर्त लौट गया  …
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निगाहों ने कोई ऐतराज किया तो नहीं  ,
फिर भी ज़िज़क ये कैसी की बोल होठोंकी देहलीज पर रुक गए !!!??
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वक्त कभी ठहरता कभी रुकता कभी चलता रहा ,
पर तेरे तसव्वुरसे वक्तकी ऊँगली छूट गयी मुझसे। ।!!!!!
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24 नवंबर 2014

मुद्दतें हो गई

मुद्दतें हो गई कल रात  जहनमें तेरा नाम याद आया  ,
तुझे भेजा था खत लिख कर  पैगाम याद आया  …
तुम्हारे और मेरे बीच यादोंमे भी दूरिया हो गयी अब ,
कहाँ से चले थे कहाँ पहुंचे है हम वो वक्त गुजरा याद आया  …
आज कोई और है मेरे पास  ,
आज कोई है मेरा खास  .
तेरी याद भुलाने के लिए वो खुद को भी भूल गया  ,
उसने किया जिक्र तुम्हारा इसी लिए तू याद आया  …
क्या कहूँ इसे तुम्हारी मज़बूरी या बेवफाई ,
तुम्हारी यादो में कभी वो एहसास न आया  …
मज़बूरी कभी बेवफाई करने को मजबूर कर देती होगी  ,
लो आज पता चला और ये इल्ज़ाम मिटाने का काम याद आया  …

7 मई 2014

दिल की गवाही

दिलसे उठी टीस स्याही बनकर
कलमसे गुजर जाती है ,
वो सुफेद सफे के लिबास पर
नज़्म बनकर बीछ जाती है  …
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क्यों ऐसा होता है ?
एक नज़्मको दर्द की स्याही से लिपटना होता है ,
अंगारो पर चलता है दिल फफोले दिल पर लिए ,
बहते अश्कोंमे इश्क़ की इबादत नज़र आती है  …
कोई कहे ग़ज़ल या नज़्म हमें उससे ताल्लुक कहाँ ?
हमें तो उसमे रब से शिकायत नज़र आती है  ....
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इश्क़ में कोई जाना या अनजाना कहाँ होता है  ,
सिर्फ उसमे तो दिल की गवाही समज आती है  …
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सरेराह उसका चले जाना छोड़ हमें तनहा यूँ ,
गवारा न हुआ दिल को फिर भी  ,
हमें तो दो राहों से भले ये जिंदगी ,
मंज़िले तो एक ही नज़र आती है  …। 

26 अप्रैल 2014

क्यों

हर शख्स अधूरा सा ,
हर शख्स पूरा भी है ,
फिर भी तलाश जारी ,
क्यों हर सपना अधूरा ???
नहीं गली कूंचे खाली ,
फिर भी बंद वो किवाड़।,
लगता है मुझे क्यों ,
मेरा जहाँ सुना है ????
अनगिनत यादें है ,
शहर बसाये मुझमें ,
फिर भी हर गलीमें ,
क्यों वीराना मेहमान है ???
दौड़ते हुए भीड़ में ,
कई थामे हाथ छूटे ,
आज हथेलीमें वो
स्पर्श क्यों जिन्दा हुआ है ???

25 दिसंबर 2013

एक नायाब सा पल

एक नायाब सा पल बैठ जाता है सिरहाने पर ,
मैं सपना समजकर फिर से आँखे मूंद लेती हूँ  ....
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इश्क़ के रंग को ढूंढ रही थी हर रूप में ,
पर वो था पानी के रंग का हवा सा घुला  …
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बदरंग बदहवास नहीं होती है जिंदगी कभी ,
वो हमारी बदगुमानी और बदनियत का आयना बन जाती है कभी कभी  …
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हर वक्त मिल जाते है दोराहे हमें जिंदगी में ,
बस वो हम ही होते है सहूलियत के हिसाबसे चल देते है  ,
वो दो राह दिल और दिमाग की जंग होती है ,
दिल सोचता है अच्छी मंजिल और दिमाग चुनता है सरल राह !!!!!!

9 दिसंबर 2013

रूठी हुई महबूबा सी

रूठी हुई महबूबा सी ये शाम बैठी है खिड़की पर ,
कुछ धुँधली सी याद के परदे लगाकर पलकों पर ,
सामने बैठी हुई चिड़िया की चहचहाट की डूबती हुई आवाज ,
बस तन्हाई के आगाज़ की नईनवेली नज़्म लिखने बैठी है  ....
इस रात भी आएगा चाँद थोड़ी ठंडक लिए पहलु में ,
रात से इश्क़ महोब्बत के किस्से दोहराएगा फिर से ,
बस ये आँखे कुछ भी न सुनेगी या पढ़ेगी चाँद पर लिखा हुआ ,
बस सिर्फ नाम पढ़ती रहेगी अनलिखा सा तुम्हारा  ,
जो लिखा जाता था हर सांस की कलमसे सितारोंकी तश्तरी पर  …

15 नवंबर 2013

वक्त नामकी नदी

वक्त नामकी नदी  किनारे खड़े है हम ,
और दिल बह रहा है धारा में ,
खामोश खड़े हम देखते रहे।
चुपचाप खड़े किनारो को नि:शब्द  ………
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एक जिंदगी में कितनी जिंदगी जीते है ,
कितने रिश्तों के चोले बदलते है हम ????
एक साथ इतना उठाकर चल देते है बेखबर ,
खुद के अस्तित्व को इसमें दफन करते है लोग  ……
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कुछ मौत ऐसी भी होती है दुनिया में ,
नब्ज़ चलती है ,दिलकी धड़कन भी ठीक ,
बस रूह को कतरे कतरे काट दिया जाता है ,
और बेजान रूह कैद रहती है उस जिस्ममें  …… 

11 नवंबर 2013

एक एक पल

एक एक पल करके अपने  दामनमें
समेट कर पुरे साल को वक्त ले चला  …
मेरे जीवनमें कुछ खुशियां कुछ गम देकर चला गया  …
क्या सोचु बैठकर में ???
मेरे घाव को भरने के मरहमसे बेमुर्रावत
एक नासूर बनाकर चला गया  ....
जीवनमें जोड़कर चलता रहा उन लम्होंको ,
जैसे खुशियों को निचोड़कर गमके निशाँ छोड़ता चला गया  …
नाउम्मीदी कैसे करे हम ???
अभी रात का आखरी पहर है यहाँ ,
सूरजके उजालेमें रातका लम्हा छटपटाता चला गया   ....... 

18 सितंबर 2013

अजीब दुश्मनी

ये वक्त भी अजीब दुश्मनी निभाता है ,
तुम्हारे साथ होने पर भागता रहता है ,
तुमसे दूर होते है यूँ ही तनहा ,
तो एक पल को एक घंटे सा लम्बा कर जाता है  …
तेरी हर बेवफाई के चर्चे मशहूर है इस जहाँमें ,
लगता है तेरा ही दूसरा नाम किस्मत रखा गया है ………. 

1 अगस्त 2013

कभी देखा है बारिशों को ???

कभी देखा है बारिशों को ???
बुन्दोकी लड़ी है तो कभी लगी छड़ी है …
कभी तिरछी धार चलती है ,
कभी उलटे मुंह नीचे गिरती है …
कभी खामोश सी ….
कब आई कब गई ???
कुछ नहीं पता …
बस इधर उधर गीली मिट्टी के निशानभर …
उसका आना तय …
उसका रुकना तय …
उसके जाने का वक्त भी तय …
फिर भी हर मौसम लिखे जाती है ….
नयी नयी दास्ताँ ….
नयी नयी जुबाँ ….
नयी नयी कहानियाँ …
नयी नयी जवानियाँ ….
ये बारिशें …
ये ख्वाहिशें …

26 जुलाई 2013

अच्छा लगता है....


तुम्हारे दिदारकी चाहतसे फुर्कत के लम्होमें भी जीना अच्छा लगता है ,

तुम्हारे साथ गुजरे हुए पल की यादोंके दामनमें लिपटना अच्छा लगता है ,

दिलमें हमारे बस गए हो आप इस कदर की हमारी खुशी जुड़ गई है तुमसे ही ,

इसी लिए तुम्हारे हरेक गममें शरीक होना हमें और भी अच्छा लगता है ....


19 जुलाई 2013

लौ को जलने दो ...


जजबातोंको लौ को जलने दो ,

तुम्हारे जिन्दा होने के एहसासका सबूत है वह ....

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करम ना करा है कोई किसी पर

ये तो अपनी अपनी किस्मत का वजूद है ....


जुत्सजूने


नींद आती है पलकों पर चलकर ,

तेरे ना आने की खबर देकर नींद उड़ाकर जाती है .....

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तेरे पाने की जुत्सजूने मेरे जीवनकी साँसे कायम रखी ,

तेरा साथ मिला जब लगा शायद जुत्सजू ही रहती तो अच्छा था ...

नाराज़ मत हो


नाराज़ मत हो जिंदगी से दोस्त ,

शायद हो सकता है तुम्हे जिंदगी से प्यार करना ही ना आया हो ....

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कैसे भी रूप में मिल जाती हो अय जिंदगी तुम

कभी गुदगुदा कर हंसाती हो तो कभी रुलाकर चली जाती हो ...


शायद अकेलेसे

शायद तनहासे शायद अकेलेसे

दो पलोंके बीच छुपे वक्तसे हम .....

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ना मिलना था तुमसे हमें

बस फासलेका बहाना बना लिए....

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गजरकी सुई हजारो मिल लम्बे वक्तको

गोल गोल करते हुई घुमाती रही ....

10 जुलाई 2013

बहाना किया !!

तिल तिल कर जलती है लौ इस दिलमे
राख सहेजे बैठी थी तेरी यादो की ,
बस एक हवा का झोका आया और ,
दूर उड़ गयी वो यादें दिल में एक तस्वीर रख तुम्हारी ...!!!!
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वो वतन की धुलकी महक की तलाश क्यों ?
हम ही हमारी मर्जी से परदेस जो जा बसे थे ???!!!
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ना कोई हवा थी ,न कोई फिज़ा का जिक्र ,
न कोई खबर थी तुम्हारी ,फिर भी मुझे हरदम तुम्हारी फ़िक्र ..!!!
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बस यूँही कागज़ लिया ,कलमसे कुछ लिखने का बहाना किया !!
यादों की तस्वीरें बैठती रही पलकों पर ,पर किसीने कागज़ का रुख न किया ...!!!

28 जून 2013

सोलहवा साल...

मेरी हथेलीमें कोई मेघधनुष लिख गया ,
प्यारेसे  पैगाममें कोई एक खुशबु छोड़ गया ...
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बादलों पर लिखे मेघदूतको पढनेकी
कोशिश करते करते शाम ढल जाती है ...
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एक एक शब्द गिर रहे थे बादलके प्रेमपत्रसे बूंद बन बन ,
मैंने हथेली धरकर उसमे एक तालाब सजा लिया ...
अब इस मेघदूतके कुछ पन्नो से मैंने भी
एक गिलास भर कर जैसे पैगाम प्रियतमका पी लिया ...
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वो हरे हरे पत्ते की बांधनी पहनकर इठलाकर चली है धरती ,
लगता है हर साल कि  सोलहवा  साल अभी  लगा है शायद ...

8 मई 2013

टाट के परदे के पार ...

टाट के परदे के  पार खड़ी है मुस्कुराती हुई  तक़दीर ,
ये पैबंद   ढंके है तेरी ग़ुरबत पर चिलमन बनकर .....
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ये  सूरज का प्यार जब  सिसकता है उसकी महबूबा के लिए ,
राख बिखर जाती है सिसकियाँ  जिसे हम धुप के नामसे जानते है ..
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चुपचाप खड़ी रहती है खलिश गुबार लिए दिल के कोनेमे ,
क्या करे बेजुबान हो जाती है जब उसका दीदार होता है ...
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चाँद और तारे क्या बतियाते होंगे जागते है आसमानमें जब ,
वो पहरा देते है आसमानका जो सोया है अभी अभी ,
कितने दाग बनाये है धुपने आसमान के  दामन पर गिन गिनकर ,
जो नासूर बन गए है रातोमे चांदका मरहम लगाकर बस .....
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नजरोके तीर घायल कर देते है और बेजुबाँ होती है जुबाँ ,
घायल वो दिल जाकर किस को शिकवा करे इंसाफ के लिए ????

26 अप्रैल 2013

बंदिशें बनती है

बंदिशें बनती है धूपमे भी कभी ,
सरगम बनकर बिछ जाता है धूप का हर टुकड़ा ,
उसके सूरसे नर्तन करते हुए किरणों के बाण
आग चुभाते है नश्तरों के निशान छोड़ते हुए .....
सबा चुप ,हवा चुप ,
जमीं चुप ,आसमां चुप ,
चाँद चुप ,सूरज चुप ,
चुप चुप से है तारे सारे ....
तब वो टीसके कसक
एक कराह बनकर निकल गयी ,
धूपके टुकड़े की लालटेन सी रौशनीमें देखा ,
वो तो टुकड़ा था दिल का .......

16 अप्रैल 2013

तेरी मोहब्बतें

कभी कभी ये चमत्कार भी नज़र आते है ज़मानेमें ,
खरोचोंके निशानोंमें से फूल खिल कर आते है ...
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गुदगुदाते है ये जख्म भी हमें अक्सर ,
गर ये तुम्हारे यादोंकी गली से आते है ....
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तुम्हे देखने को तरस गयी थी मेरी नज़र
ये नज़र का धोखा हो मेरा की वो मकां तेरा खंडहरमें रहा ...
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ज़मानेभर की झिल्लतें उठानेकी मुझमे थी ताकत ,
जब तक मेरी रगोंमें तेरी मोहब्बतें बहती रही लहू बनकर ...

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...