शायद तनहासे शायद अकेलेसे 
दो पलोंके बीच छुपे वक्तसे हम .....
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ना मिलना था तुमसे हमें 
बस फासलेका बहाना बना लिए....
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गजरकी सुई हजारो मिल लम्बे वक्तको 
गोल गोल करते हुई घुमाती रही ....
 
 
 
 
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