26 अप्रैल 2014

क्यों

हर शख्स अधूरा सा ,
हर शख्स पूरा भी है ,
फिर भी तलाश जारी ,
क्यों हर सपना अधूरा ???
नहीं गली कूंचे खाली ,
फिर भी बंद वो किवाड़।,
लगता है मुझे क्यों ,
मेरा जहाँ सुना है ????
अनगिनत यादें है ,
शहर बसाये मुझमें ,
फिर भी हर गलीमें ,
क्यों वीराना मेहमान है ???
दौड़ते हुए भीड़ में ,
कई थामे हाथ छूटे ,
आज हथेलीमें वो
स्पर्श क्यों जिन्दा हुआ है ???

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