उड़ता हुआ वो पत्ता एक शाखसे जुदा
न जाने ये हवाका साथ कब तक निभा पायेगा ,
ठहरेगा जब कहीं एक जगह
उसे टहनीका प्यार बहुत याद आएगा .....
सूखे उसके आंसूकी एक बूंद भी जब बहा न पाए वो
दर्द अपना कैसे बयां कर पायेगा ????
वो कोई पगडण्डी होगी या भीड़से भरी सड़क
ये भी उसको पता नहीं मगर .....
ठहरने के लिए कोई सांस नहीं एहसास तो है ,
दरख़्त की घनी शाख पर जब जन्मा था वो ,
उसने दुनिया न देखी थी ...
बस चुपचाप खड़ा रह जाता था जहाँ पर था ....
आज साथ छुटा साथ दरख़्त का तो क्या हुआ ....
आज इस खुबसूरत दुनिया का नज़ारा थो हुआ ...
हवा के संग संग ....लहरोंके साथ साथ ....
न जाने ये हवाका साथ कब तक निभा पायेगा ,
ठहरेगा जब कहीं एक जगह
उसे टहनीका प्यार बहुत याद आएगा .....
सूखे उसके आंसूकी एक बूंद भी जब बहा न पाए वो
दर्द अपना कैसे बयां कर पायेगा ????
वो कोई पगडण्डी होगी या भीड़से भरी सड़क
ये भी उसको पता नहीं मगर .....
ठहरने के लिए कोई सांस नहीं एहसास तो है ,
दरख़्त की घनी शाख पर जब जन्मा था वो ,
उसने दुनिया न देखी थी ...
बस चुपचाप खड़ा रह जाता था जहाँ पर था ....
आज साथ छुटा साथ दरख़्त का तो क्या हुआ ....
आज इस खुबसूरत दुनिया का नज़ारा थो हुआ ...
हवा के संग संग ....लहरोंके साथ साथ ....
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