नीली चुनर का आसमान रोज मुझे चिढाता है ,
देख मेरा अनंत जहाँ है ....
मैंने उसे अपना दिल दिखाया और कहा ,
जा सिर्फ उसके भीतर झंख कर देखकर आ ,
आज तक वापस नहीं आये ,
वो जो बेतरतीबसे लम्हे भेजे थे उसने भीतर ....
हाँ ये अरमानोका आकाश है ,भीतरकी गहराई लिए ,
दोनों सेम टू सेम ...
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - बामुलिहाज़ा होशियार …101 …अप शताब्दी बुलेट एक्सप्रेस पधार रही है
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