18 मई 2012

एक खिड़की है...

एक छोटेसे घरौंदेमें बैठा हुआ परिंदा 
चहक रहा था  सुबह सुबह ,
शायद एक तिनका जुड़ गया था टहनीका ,
पर एक काँटा चुभ गया उस तिनकेसे 
तो उसके दर्दसे चीख उठा नन्हासा परिंदा ....
चोंचसे उठाकर उसने टहनीको फेंक दिया 
तो माँ चिल्लाई ये तुने क्या किया ???
उसने कहा माँ इसने दर्द दिया है ,
माँने कहा ये टहनी पर ही तो एक गुलाब भी खिला है ,
दर्दसे गभराकर कभी कुछ ऐसा नहीं करते ,
जिसे करनेके बाद सिर्फ पछतावे ही मिलते !!!
गुलाबसे खिलनेके लिए दर्द भी सहना होगा ,
ऊँची उड़ानोंके लिए तुम्हे उस टहनीको भी टोहना होगा .....
माँ वो कांटा फिरसे उठाकर ले आई ,
चोंचसे काटकर कांटेको उसने घरौंदेमें 
एक खिड़की है बनायीं ... 

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