आमका आचार आमकी गुट्ली ,
आमका रस और आमकी चटनी ,
कहती है गर्मी आई है ,
बहुत सारा प्यार लायी है ,
खुद को छुपा लो कमरे में
लो अब धुप की बारात आई है ....
सोने के टुकड़े बिखरे पड़े है हर राह ,
पर कोई चोर लुटेरा नहीं है इसका ,
सबकी जान पर बन आई है ...
पसीना प्यार करता है चेहरे को ,
और गला पानी की प्यास बढ़ाता है ,
रात छोटे कपडे पहनती है ,
और दिन नौ वार की साडी पहनकर आता है ....
माँ की शामत लाते है बच्चे ,
मामुके घर जाकर भांजे कोहराम मचाते है ,
न किताब ,न बस्ता ,न लास्ट बेंच का जादू ,
न वो लंच बॉक्स बाँटनेकी रिसेस पर काबू ....
चलो गर्मियां पहनते है ,गर्मियां खाते है ,
गर्मी को पी पीकर शरबतमें वेकेशन मनाते है ...
गर्मी की छुट्टी के ये सब ही तो मजे हैं।
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