3 नवंबर 2011

जवाब हो तुम...

मेरे हर सवालका जवाब हो तुम ,
फिर भी मेरे सवाल अनसुनेसे क्यों लगे ?
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कोई किसीको चाहे बेशुमार ये कसूर तुम्हारा नहीं 
क्योंकि चाहत पर कभी इस दिलका इख्तियार नहीं .....
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जो नज़र भी ना आए वो साथ चलते सायेको एक सवाल 
क्यों घने अंधेरोमें तुम मेरे साथ नहीं होते कभी ???????
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जिसे नज़रें ढूंढती जाए हरदम 
वो अक्स तुम्हारे आयनेमें छुपकर बैठा है कहीं ....

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