चलते चलते यूँही कोई अजनबी मिल गया ,
बस जाना पहचाना एहसास दिलमें आकर रुक गया ....
========================================
हाले दिल बयां न हो पाए ,
लब्ज़ रुक जाए सिलवटोंमें कहीं
आँखोंसे हर अनकही बयां हो जाए ,
वो सुन ले और हयासे ये पलकें झुकती जाए ....
========================================
एहसासकी हरकतसे होती रहे धड़कन बोजिलसी यूँ ,
रातकी गहरी ख़ामोशीमें कुछ और गहराती रातें ये
बस आवाज़ गूंज रही है फिजाओमें
एक नाम तुम्हारा है एक नाम मेरा भी है साथ साथ ......
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें