आज त्यौहारों का त्रिवेणी संगम आया है ,
गणपति बाप्पा के साथ ईद की सेवैयाँ भी लाया है ,
मिच्छामी दुक्कडम सिर्फ जैन धर्म के लिए नहीं
हम सब के लिए सन्देश देता है
पुराने सब बैर भुला दो ,सुख शांति से समय बिताओ ,
ये जिंदगी तो बस एक बार ही आनी है
उसे आपसी बैर में क्यों सबको गवानी है ?
सिध्धि विनायक खुद विघ्न हर्ता बनकर
साथ सब के आये है ...
चलो आज सब हम गिले मिल जाए ...
मोदक सेवैयाँ साथ खाए ....
दूसरों से क्षमा मांगकर आपसी बैर मिटायें ....
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वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्न कुरु में देव ,सर्वकार्येषु सर्वदा ......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
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आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

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अब हम जा रहे है अपने इस भ्रमणके तीसरे पड़ाव की ओर .... जैसे की आपसे मैंने पहले भी बताया था की मेरी सबसे पसंदीदा जगह है ऋषिकेश हरिद्वारसे तकर...
गणेशचतुर्थी और ईद की मंगलमय कामनाये !
जवाब देंहटाएंअच्छी पंक्तिया लिखी है आपने ...
इस पर अपनी राय दे :-
(काबा - मुस्लिम तीर्थ या एक रहस्य ...)
http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_11.html
वाह! बहुत अच्छे विचार।
जवाब देंहटाएंपुराने सब बैर भुला दो ,सुख शांति से समय बिताओ ,
ये जिंदगी तो बस एक बार ही आनी है
उसे आपसी बैर में क्यों सबको गवानी है ?
आपको और आपके परिवार को तीज, गणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं!
फ़ुरसत से फ़ुरसत में … अमृता प्रीतम जी की आत्मकथा …पढिए!
सुंदर पोस्ट । आपको भी शुभकामनाएं और बधाई
जवाब देंहटाएं