
चुपकेसे उसका आना ,
मेरी तनहाईकी ख़ामोशीको तोड़कर ,
मेरे कानोमें कुछ बतियाना ,
फिर खिलखिलाकर हंस देना ,
और हवाओके पंख लगाकर उड़ जाना ,
ये है मेरे प्यार का परिचय ,
तस्वीर बनकर छुपा पलकोंमें
पर आँखोंसे ओज़ल जरा जरा सा ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पाय...
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंकाव्यशास्त्र (भाग-1) – काव्य का प्रयोजन, “मनोज” पर, आचार्य परशुराम राय की प्रस्तुति पढिए!