26 अप्रैल 2010

थको पको और बको ....

थको पको और बको ....

पेपर के पन्ने की दास्ताने ये कहे जाती है ...

कुछ नए की खोज करते है और मिलता नहीं ...

हमें बस ये यूँही पकाती है ....

भ्रष्टाचार की होड़ लगी है कौन जीतेगा मेच

ये बात तो हमें समज ना आती है ....

फिर पता चलता है यहाँ पर तो हर मेच फिक्स हो जाती है .......

जिस टीमके हारने गमने हमें पूरी रात रुलाया था ....

पता चल गया दुसरे दिन

उसके कप्तानने तो होटल में पूरी रात

हार के बाद भी सूरा और सुंदरी के बीच जश्न मनाया था ......

किसे प्यार करें किस पर ऐतबार करे ये जब समज ना आये

तो भैया एक काम कर जाओ अब इडियट बन जाओ

और ओल इज वेल गाओ ......

3 टिप्‍पणियां:

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...