रुके रुके से शब्द होठोंकी कैदमें सिमट कर रह गए ,
फ़िर भी वो आंखोंकी जुबानी बहुत कुछ कह गए ...
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तुम्हे पानेकी ख्वाहिशमें सब भुला चुके थे हम
गुमशुदा उस लिफाफे पर तेरा पता लिखना भूल गए थे हम ...
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क्यों चोरी चोरी से ही प्यार किया जाता है ?
क्या ये कोई जुर्म या गुनाह है ?
जो इस दुनियाके रहमोकरम पर जिया जाता है ?
गुजर जाते है हर खौफसे हंसकर
जहाँके तब जाकर इन्तेहाँ पर आया जाता है ...........
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क्यों चोरी चोरी से ही प्यार किया जाता है ?
जवाब देंहटाएंक्या ये कोई जुर्म या गुनाह है ?
भावावेग की स्थिति में अभिव्यक्ति की स्वाभाविक परिणति दीखती है।