दुझते रिसते झख्मोंका वह बाकी निशां
दिल की तहोंमें दफ़न करके बैठ जाएँ ,
आज तेरी यादोंके आगोशमें लिपटकर
बस नूरके इक बूंद को हलकसे निगल जाएँ .....
वफ़ाकी जो रस्म थी बदस्तूर हम निभाए है ,
बस मिलनके मक़ाम पर हम सफर आधा छोड़ आए ...
प्याससे सूखे लबोंमें शबनमकी हिफाजत होती है ,
प्यार छलक कर बह जाए ये हमें गवारा न हुआ ,
काफी था बस दिलमें एक टीस बन जिन्दा रहना ,
किसीकी कब्र पर बैठ सपनोका आशियाना बनाना ...
खुशियों पर अपनी किसीके अरमान दफन करके
हमारा प्यार का आखरी मक़ाम यूँ दागदार न हुआ .....
काफी था बस दिलमें एक टीस बन जिन्दा रहना ,
जवाब देंहटाएंकिसीकी कब्र पर बैठ सपनोका आशियाना बनाना ...
खुशियों पर अपनी किसीके अरमान दफन करके
हमारा प्यार का आखरी मक़ाम यूँ दागदार न हुआ .....
bahut hi gehre jazbaat,sunder rachana.
काफी था बस दिलमें एक टीस बन जिन्दा रहना ,
जवाब देंहटाएंin panktiyon ne hi sab kah diya.