बंध लब भी अल्फाज़ कैद नहीं कर पाए ,
जुदा होकर भी तुम्हारी यादोंको जुदा न कर पाए ....
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सजदे करते गए तुम्हारी राहोंमें हर
बस खता कुछ हो गई अनजाने में हमसे ही ,
की आप शायद चाहकर भी
हमारी दुआ कुबूल न कर पाये ......
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तुमसे मिलना ,बातें करना एक सपना हो गया ,
वो दिलबर कल तक था हमारा आज गैर का हो गया .....
सजदे करते गए तुम्हारी राहोंमें हर
जवाब देंहटाएंबस खता कुछ हो गई अनजाने में हमसे ही ,
की आप शायद चाहकर भी
हमारी दुआ कुबूल न कर पाये ..
चाह कर भी दुआ कबूल ना करना सचमुच गुनाह को इंगित करता है !!
सुन्दर अभिव्यक्ति है सांड को चारा मिला खुश हुआ !!!
जवाब देंहटाएंदिल को छू गई। बेहद पसंद आई।
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