कभी दोस्ती कर ली तनहाईसे तो ख़ुदसे दोस्ती हो गई ,
फ़िर कहीं ये तन्हाईयाँ गुम हो गई है ,
जिसके साथ न मिलते कभी उससे भी बात हो गई ,
बस एक अजनबीसे पहचान हो गई है ......
जब प्यार हो गया ख़ुदसे जिस दिन ,
ये दुनिया भी जैसे बदल गई है ,
कभी जो भला ना लागा था दिलको मेरे ,
वो ही आज हमारी पहली पसंद हो गई है .....
ग़मोंने जब थामा कभी दामन मेरा ,
इस तनहाईसे फ़िर मुलाकात हो गई है ,
आंसू पोछकर मेरे उसने अपने दामनसे
बस वो ही अब मेरी सहेली हो गई है .....
दस्तक ना देना कोई मेरे दरवाजे पर कभी ,
मुझे ख़ामोशी के मेलेमें जीनेकी आदत हो गई है ,
कभी इबादत करली है खुदा की तनहाई में ,
जब हम तुम मिले आज तनहाई में तो आज
इजहारे इश्क की भी गुस्ताखी हो गई है ....
कल शाम तन्हा बैठ कर सोचा तेरे बारे में ...
जवाब देंहटाएंतो खुद पर हंसी आ गयी
तू और तन्हाई ...मुमकिन ही नहीं ...
यही तो कह रही है आप भी ...!!
मुझे ख़ामोशी के मेलेमें जीनेकी आदत हो गई है ,
जवाब देंहटाएंकभी इबादत करली है खुदा की तनहाई में ,
जब हम तुम मिले आज तनहाई में तो आज
इजहारे इश्क की भी गुस्ताखी हो गई है ....
waah kya baat badi hi dilkash romani nazm hai,sunder