घने बादलों के पार से कुछ उम्मीद दिखाई दे रही थी ,
मैं सोचता रहा क्यों पास नहीं आ रही ?
बैठे बैठे सोचता रहूँ तो क्या खाक पास आएगी ,
बस कदम बढ़ा लूँगा उसकी ओर तो ही वो करीब दिखाई देगी ...
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आज पत्तो पर सोयी कुछ बारिशकी बुँदे मिल गई ,
हथेली पर सजा कर उसमे मेघ धनु ढूंढ़ना चाहा ,
बारिश की वह चंचल बुँदे हंसकर फिसल गई ,
मेरे चेहरे पर एक मुस्कान का मेघ धनु छोड़ गयी.....
बारिश की वह चंचल बुँदे हंसकर फिसल गई ,
जवाब देंहटाएंमेरे चेहरे पर एक मुस्कान का मेघ धनु छोड़ गयी.....
waah kya baat hai,ek bond muskan hame bhi mil gayi,sunder.
bahut khoob !
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