वक्त को बहता पानी कहें ? या हथेलीसे फिसलती रेत?
काश यूँ ही नींद एक बार फिर आ जाये
और हमें कोई प्यार से फिर सहलाता रहें ....
रेत घडीकी रेत एक बार फिसलना भूल जाए ........
==========================================
ख्वाबोंसे ताबीर तक का सफर बड़ी टेढी गलियों से गुजरता होगा ,
बस हम तो चलते ही गए बहते पानीकी तरह वक्त के साथ ,
खुबसूरत सी राहोंसे रेत की तरह फिसलते हुए वक्त की हथेली से ,
जब मंजिलके सामने आकर रुके तो लगा ये राहे कुछ और लम्बी होती .....
वक़्त के साथ बहते हुवे ........... वक़्त के सपनों में खोये............ सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंकाश यूँ ही नींद एक बार फिर आ जाये
जवाब देंहटाएंऔर हमें कोई प्यार से फिर सहलाता रहें ....
रेत घडीकी रेत एक बार फिसलना भूल जाए ........
bahut sunder