आज खुदासे कुछ दुआ मांगने को दिल हुआ मेरा ,
दर पर जाकर उसके सजदेमें सर झुका दिया ,
बंदगी को हाथ उठे जब मेरे तो ये क्या हुआ ,
तेरे प्यारमें ही मैंने खुदा पाया अय मेरी दिलनशीं ..........
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तपते शोलों परसे राख की परत फूंकसे उडाना चाहा ,
कुछ जर्रे उड़कर आँखमें गिरे ,बंद हो गई पल के लिए ,
लेकिन सर्द रातोंको अपनी तपिशसे गरमाने की ख्वाहिश ,
मेरी ये चंचल हरकतोंने पुरी कर दी अनजानेमें ......
बंदगी को हाथ उठे जब मेरे तो ये क्या हुआ ,
जवाब देंहटाएंतेरे प्यारमें ही मैंने खुदा पाया अय मेरी दिलनशीं ..........
waah bahut sunder jazbaat.
बहुत उम्दा ...
जवाब देंहटाएंमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बहुत अच्छा ख़्याल
जवाब देंहटाएं---
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