छाता पड़ा अलमारी में आज बहुत मुस्कुरा रहा था ,
छुप गया था पुराने कपडों के पीछे मजे से ,
और एक घंटेसे मुझे रुला रहा था ....
रेन कोटके बटन टूटे पाए थे तब हमें छाता महाशय याद आए थे .........
लुका छिपी हमारी फ़िर ख़त्म हुई
कहीं पीछे से छाते महाशय की डंडी दिख गई ...
उत्सुकतासे हमने उन्हें खींचना चाहा
और इसी कोशिश में ढेरों कपड़े अलमारी के बाहर गिरा दिए ...
लो अब एक और काम हमने बढ़ा दिया
और इल्जाम छाते महाशय पर लगा दिया ....
बाहर निकाल कार हमने खोलना चाहा
तो जमीं जंग को बात रास न आई ,
खोलने पर नाराज होकर उसकी तिल्लिया कुछ ऐसे गुर्राई
और तीन तिल्ली तो टूटकर हाथमें आई ....
फ़िर भी हमारी हिम्मत पर फख्र था हमें ,
हमने भी छाते की चेलेंज उठा ली
और टूटी छतरीसे ही काम निकलवानेकी ठान ली ,
आया एक मनचला झोंका तेज हवाका कहींसे बहुत खूब
और हमारी छतरीने अदासे बातें की हवासे कौवा बनकर....
चलो मौसमकी पहली बारिश थी तो हम मन को मना लिए
और भीगते हुए एक ठेले पर चाय और पकोडे खा लिए .....
क्या खूब अभिव्यक्ति है --
जवाब देंहटाएंपहली बारिश मे भीगने का बहाना अच्छा चुना
वाह वाह!
जवाब देंहटाएं---
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE