वक्तकी सीपीसे नायाब मोती नजर करने आए थे कभी ,
मशरूफी देखी जब आपकी ,खामोशीका दामन थामे
हम रुखसत कर गए ...
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जंग और मोहब्बतमें जायज होता है सब ,
सुना करते हम ये लंबे अरसे से ,
अबकी कटार भी आपकी थी ,निशाना भी आप थे ,
अब जख्म क्यों गहरा लगा ? ये तो आपके दिए जख्मका अक्स था ......
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