गिले करते हो , शिकायत भी है हम से ,
ये तो आपका हक़ है ......
हम बेमुर्रवत है ,बे गैरत है ,बेवफा भी है हम ,
ये तो आपकी ही दी हुई सौगात है ..........
आए थे हम आपकी चौखट पर कभी ,
दुआ सलाम करने, आखरी अलविदा कहने ,
शायद न फुर्सद थी न फुरकत के कुछ पल भी ,
बस बेरुखी से मुंह मोड़ लिया आपने जाने क्यों ???
हम ही थे नादाँ बस ये छोटी सी बात न समज पाये थे ,
अब जरूरत नहीं आपको हमारे साये की भी ......
बस फर्क इतना सा हो गया है .....
उस मोड़ पर ,उस राह पर हम आज भी खड़े है ,
पहले जहाँ बातें थी हमारी , अब खामोशियों के गहरे साये रहते है ......
bhav sundar hai, shabd chayan bhi !!! Badhai
जवाब देंहटाएंbadhiya hai ......khamoshiyo ke gahare saaye rahate hai.......sundar
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
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