जिंदगी अभी तो शुरू हुई थी
कुछ समझनेमें उसे शायद गलती हो गई है........
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खंडहरको देखा आज उम्रकी नजरसे,
इस वीरानेमें अभी यादें जवान थी...........
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आज इस सूनेसे मकानमें किसीकी आहटसे,
जमीं पर गदॅ को किसीके कदमके निशांकी चाहत हुई....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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आज इस सूनेसे मकानमें किसीकी आहटसे,
जवाब देंहटाएंजमीं पर गदॅ को किसीके कदमके निशांकी चाहत हुई....
wwaahh bahut sunder
थोड़ा कसिए, शब्दों की फिजूलखर्ची कोई ज़रुरी तो नहीं, वैसे कविता भावपूर्ण है।
जवाब देंहटाएंgud
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