8 अप्रैल 2009

निखर गया चाँद ......

अस्तित्व कण कणमें बिखरा
कण कण प्यारकी बूंद बूंदसे निखरा
बदरीमें छूप छूपकर पलपलमें निकलना
दिलको छू छूकर सहला गया चांदका नखरा ...........
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खामोशी कसमसा रही है लबोंकी कैदमें,
मजबूर हुए हम तेरी दी हुई कसमसे,
यूं ही तनहासे रहकर उम्र गुजार देंगे,
तस्वीर आपकी रहेगी सामने जब सजदा करेंगे.........

1 टिप्पणी:

  1. अस्तित्व कण कणमें बिखरा
    कण कण प्यारकी बूंद बूंदसे निखरा
    बदरीमें छूप छूपकर पलपलमें निकलना
    दिलको छू छूकर सहला गया चांदका नखरा
    aare waah aaj to nakharewala chand layi hai aap,behad snnder,dil khush kar diya.shukran

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