आरजूमें जिसकी एक सितारोंसे भरी शाम होती है ,
जलवे उनके दीदारके होने पर जैसे एक नायाब दुआ कुबूल होती है .....
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चलो आज हम ही चलकर उनसे मिलने चले जाते है ,
रूठे लगते है ,कुछ खफासे भी लगते है ,आज उन्हें मनाकर आते है ....
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मोमकी पिघलती बूंद बर्फसी जम गई शमा पर ही ,
पलकोंकी चिलमन उठते ही उनकी रोशन महफ़िल कर गई .....
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रेतके बादल बह कर हवामें समां ये धुआं धुआं कर चले ,
उभरी उसमें जो लकीरे कुछ जो हमें आपके चेहरे सी ही क्यों लगी ???
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जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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मोमकी पिघलती बूंद बर्फसी जम गई शमा पर ही ,
जवाब देंहटाएंपलकोंकी चिलमन उठते ही उनकी रोशन महफ़िल कर गई
waah gazab ki baat kahi,saare sher bahut sunder.
very nice... i like poetry very much... visit my blog... u will like it.
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