26 मार्च 2009

मौसम एक तपिश ,एक सिहरन ,एक फुहार

गर्म गर्म राहों पर चलकर ,
तिल तिल पाँवके छालोंको चूमकर ,
सहरा का मौसम रंग लाता गया ,
झुलसती तपिशमें पसीनेकी बूंदोंमें जैसे नहाता गया .....

कण कण बर्फकी जमती गयी ,
सतह सतह एक पर एक तह लगाकर जमती गयी ,
बैठ गए बर्फके कम्बल ओढ़कर ,
देखो इस कोनेमें मेरे कांपते हुए अरमान .....

कागज़की कश्ती पर सरपट दौड़ता,
सड़कके पानीमें तेजधार बहता हुआ ,
देखो मेरा ये बचपन बूंदोंमें नाचता गया ,
इस पहली बारिशमें जवान होकर गाता चला ..........

2 टिप्‍पणियां:

  1. कण कण बर्फकी जमती गयी ,
    सतह सतह एक पर एक तह लगाकर जमती गयी ,
    बैठ गए बर्फके कम्बल ओढ़कर ,
    देखो इस कोनेमें मेरे कांपते हुए अरमान .....
    bahut sunder abhwyakti hai

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  2. कागज़की कश्ती पर सरपट दौड़ता,
    सड़कके पानीमें तेजधार बहता हुआ ,
    देखो मेरा ये बचपन बूंदोंमें नाचता गया ,
    इस पहली बारिशमें जवान होकर गाता चला
    waah kitni gehri bat keh di,wo bhi masoom andaz mein,khubsurat.

    जवाब देंहटाएं

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