8 दिसंबर 2009

एक सवाल ??

रुके रुके से शब्द होठोंकी कैदमें सिमट कर रह गए ,

फ़िर भी वो आंखोंकी जुबानी बहुत कुछ कह गए ...

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तुम्हे पानेकी ख्वाहिशमें सब भुला चुके थे हम

गुमशुदा उस लिफाफे पर तेरा पता लिखना भूल गए थे हम ...

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क्यों चोरी चोरी से ही प्यार किया जाता है ?

क्या ये कोई जुर्म या गुनाह है ?

जो इस दुनियाके रहमोकरम पर जिया जाता है ?

गुजर जाते है हर खौफसे हंसकर

जहाँके तब जाकर इन्तेहाँ पर आया जाता है ...........

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1 टिप्पणी:

  1. क्यों चोरी चोरी से ही प्यार किया जाता है ?
    क्या ये कोई जुर्म या गुनाह है ?
    भावावेग की स्थिति में अभिव्यक्ति की स्वाभाविक परिणति दीखती है।

    जवाब देंहटाएं

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