सफर में शोर था,
सफर में साथ था,
सफर में हमसफर था,
सफर में एक मंजिल थी,
मंजिल के लिए वह सफर था,
मंजिल तक गुजरते गुजरते,
एक पहेली सा सफर था,
पहली की सुलजन की उलझन भी वह सफर था,
सफर में अंत के सन्नाटे में शोर था।
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
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