हमने कब कहा कि हम इस दुनिया के हैं,
गलतफहमी हमें ही तो थी कि हम इस दुनिया के हैं।
ना जमी एक सी थी ना आसमान एक सा था,
फिर क्यों हमारी उम्मीद एक सी बनी रही???
वफाएं हमारी भले शिद्दत से भरी रही,
राह तुम्हारी थी की ,
हमारी वफाए तुम्हें तुमसे मिली ही नहीं।
अब न मिलने की चाहत है,
चाहत बिछड़ने की तुम्हारी यादों से।
मखमली तकिये के सिरहाने सोकर,
चलो इस दुनिया को अलविदा कहा चले।
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