9 नवंबर 2015

दिवाली …

कुछ कहती है दिवाली
कुछ सुनती है दिवाली
अंधेरो के घेरे में पनपती है दिवाली  .
रौशनी का मोहताज नहीं कोई ,
खुद के अंदर के दीपक को उजागर करो ,
तो रौशनी से जगमगाती है अस्तित्व को  …
चाँद भी अदब करता है उस उजालों का  ,
तब तो सितारों की संगत में
पनपती है दिवाली   …
किसीके दिए में आँसू का तेल न हो
उस आँखों को ढूंढ कर देखो रौशनी में  ,
एक हास्य का लास्य भर दो उस चहेरे पर
वो ही सिखाने के लिए आती है दिवाली   …
रौशनी का मतलब सीखो दिये से  ,
खुद को जलना पड़ता है
अंधेरों से लड़ना पड़ता है  ,
उम्र दिए की भले ही हो एक रात की  ,
उस दिन को   हर साल मनाना होता है   ....
रंगोली के रंग से रंग चुराकर मिठास को
अपने हृदयमें बसाकर   ,
पटाखों की चमक और आवाज से
पुरे साल के इंतज़ार के बाद आती है दिवाली   ....
हर  इंसानों के लिए शुभकामना का प्रतीक
बन इंसानियत को जगाती है दिवाली  .... 

3 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !!
    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, दीपावली की चित्रावली - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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