23 अप्रैल 2012

मजलूमके नाम ...

ये अल्फाजोंके उल्ज़े सुल्ज़े फितरे छोड़ जाती है दुनिया ,
उसके लिए जिसको महसूस करनेके लिए अल्फाज़ नाकाम होते है ......
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प्यार करना है एक गुनाह दुनिया की नज़रमें 
फिर भी हर दौरमें इश्कमें फ़ना होने वालोकी  नयी दास्ताने लिखी जाती है ......
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जिसको पाने की उम्मीद भी न हो दूर तक 
उससे प्यार करने की खता कर जाती है दुनिया ....
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बेवफाई के अनगिनत इल्ज़ाम करके रुसवा करनेवाले भी है यहाँ ,
जो अपनी नाकामी को किसी मजलूमके नाम मढ़कर चले जाते है .....

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