1 अप्रैल 2012

लटकी है जिंदगी ....

खूंटेसे लटकी है जिंदगी
एक तौलियेकी तरह ,
जहाँ कुछ गीला पोछ लिया हो
उतना हिस्सा ही नम है ,
और हवाके झोकोंके साथ सुख जाता है ....
चलो इस तौलियेको पानीमे भिगोकर
उसे सर पर रखकर थोड़ी धूपमें सेकती हूँ ,
भाप बनकर उड़ जायेंगे सारे लम्हे
जो नमी बनकर रुकसे जाते है
बस यूँही .....

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