31 मार्च 2012

हर दम ...हर पल ...

कल रात एक सपना देखा ,
मैं और चाँद साथ साथ जा रहे थे ,
रोशनीका दामन थामे ,
चाँद कुछ उखड़ा उखड़ासा था ,
मैं कुछ सोचकर मुस्कुरा रही थी !!!!!
चाँद खफा हो गया मेरी मुस्क्रुराहट पर ,
और बोला ,
तुम्हे क्या पड़ी है मेरे गम या ख़ुशी से !!! मतलबी कहींकी !!!
फिर वो बोलता चला गया और मैं खामोश सुनती रही !!!
थोड़ी देर तक सन्नाटा रहा ...
हम दोनों सड़कके किनारे बैठ गए ...
थोड़ी थोड़ी दूरी पर ....
चंद लम्हे कटे....युगोंके समान!!
फिर चाँद  करीब आया ,मेरे हाथको अपने हाथमे थाम बोला :
माफ़ कर दो ,मैंने तुम पर गुस्सा जो किया ,
मैं हंस पड़ी : अगर मैं हंसती नहीं तो तुम्हारा गुबार कहाँ निकलता ???
अब तुम हलके हलकेसे हो चुके हो ...तो चलो अब तुम मुस्कुरा दो !!!
और हमारी हंसी फिजाओ में गूंजी ......
चाँद जानता है मैं उसके बगैर अधूरी हूँ ....
और चाँद तेरा इंतज़ार मुझे नहीं क्योंकि तू मेरे जीवनकी चांदनी है ..
हर दम ...हर पल ...

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