17 जनवरी 2012

मेरे ख्यालोंके शहर बसे है ......

देखो मेरी दुनिया बड़ी ही हसीं है ,
उसमे कई ख्वाबों और ख्यालोंके शहर बसे है ...
वहांकी दीवारे बेलोसे बनी है
और टहनी पर अरमानोंके फूल खिले है ,
मौसमके साथ बदलते उसके मिजाज़ है
और ये मिजाज़ ही बड़े खास है ....
पतज़रमें टहनी जैसे तनहा हो जाती है ,
बहारका चोला पहनकर फिर खुलकर मुस्कुराती है ...
यहाँ हर कोना मेरे ख्वाबोसे सजा है ,
यहाँकी खिड़कियाँ तुम्हारे इंतज़ारमें खुल जाती है .....
ये सूरज चाँद और सितारोंका यहाँ
हरदम आना जाना लगा रहता है ...
जैसे मेरा ये शहर आसमानके बाजुओमें बसा है ....
बस कल रात एक चेहरा सामने आया ...
जो मेरे ख्वाबोंको सहेजते चलता रहा मेरे साथ
मैं उसकी पनाहोंमें पहलु में चलती रही
और ये दुनिया ....
ये दुनिया ...
मुझे और कहीं ही ढूंढती रह गयी .......
देखो मेरी दुनिया को हंसी बना गया कोई ,
जिसमे मेरे ख्यालोंके शहर बसे है ......

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