11 जनवरी 2012

दिलका लगाना ....

मुझे तो तेरे आने का ख्याल रहा ,
तेरा जाना नाकाबिले बर्दाश्त रहा ...
तेरे आने पर लब्ज़ शरमा कर जुबाँमें छिपे रहे ,
तेरे जाने पर आंसू बेमुर्रवतसे बहार आ गए ....
ये ख्याल मुझसे क्यों बेवफाई करते है ???
है मेरे फिर भी तुम्हारे लिए मचलते है ???
एक रिश्तेसे बंधी डोरसे जिसे कहते है दिलका लगाना ....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...