कभी कभी बिना वजह ठहर जाती है
आकर एक मुस्कराहट मेरे चेहरे पर ....
वो लम्हा या वो तुम्हारी बात
फिर कानोमें गूंज जाती है ....
मेरे हाथो पर तुम्हारा स्पर्श
अब भी उतना ही ताज़ा है ,
मेरी हथेली पर एक तस्वीर बनकर सजा सा ......
तुम तो कितने दूर चले गए मुझसे यूँ ....
तुम चाहे कितने भी रहो ओज़ल कभी
मेरी यादों पर तुम्हारा कभी इख्तियार न होगा ...
मेरे कदम रुक जाए भले तुम तक आते आते ,
बिन बुलाये मेरे जहन पर दस्तक देती तुम्हारी याद
मुझ तक पहुँचनेके लिए कभी इज़ाज़त नहीं लेती तुम्हारी ........
ये मुस्कराहट भी कभी खुशबु बिखेरती है
कल हवाएं तुम तक वो लेकर आयेगी ...
न चाहोगे फिर भी तुम्हे वो मेरी याद दिलाएगी ....
क्योंकि मुझे मेरी चाहत पर पूरा ऐतबार है .....
bhaut hi acchi rachna....
जवाब देंहटाएंbahut-bahut....
जवाब देंहटाएंekdum dil ko chu gayi ye rachna...har ek panktiyan mano zindagi se kahin judi hon waisa laga...
adbhut...
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