23 जून 2011

आज यूँही थोडा ......

मुझे वो जलती धुप जला ना पाई ,
तेरे प्यार का साया मेरे सर पर था ......
मुझे बर्फ की ठंडक सिहरा ना पाई ,
तेरे प्यारकी गर्माहट मेरे आंचलमें थी .....
मेरे पैर सहराको नंगे पाँव पार कर गए ,
क्योंकि तेरा दुपट्टा मेरे हर कदम पर बिछा था .......
मैं सबसे ऊँची पहाडी पर जा पहुंचा ,
क्योंकि तेरा हौसला मेरे साथ था .........
आज मेरी दुनिया उजड़ गयी ,
मेरे पास धनदौलत सब कुछ था बस एक तु और तेरा प्यार ना था ......

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