सूरजसे लड़ लड़ कर थक चूका हूँ ,
पर राख नहीं हुआ अब तक ...
रोशनी जलाती रही तिल तिल कर ,
चांदनी मरहम बन सहलाती रही ...
=========================
एक नज़्म ऐसे ही बन जाती है ,
एक खिली हुई सुबहमें उसकी हँसी गूंज जाती है ....
==================================
तुम्हे प्यार करने का सबूत नहीं मेरे पास ,
जिन्दा सिर्फ तेरे लिए हूँ ये सबब काफी नहीं ???
==================================
आधी अधूरीसी हो जाती है हर शाम ऐसे ,
सूरज के साथ मेरी परछाई भी सो जाती है ....
==================================
तेरा प्यार आंसू पर भी नासूर बन उभरता गया .....
क्या करें दर्दे दिल की दवा ना पी क्योंकि तेरी फुरकतमें भी जीना रास आया .....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
21 जून 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
-
बंदिशें बनती है धूपमे भी कभी , सरगम बनकर बिछ जाता है धूप का हर टुकड़ा , उसके सूरसे नर्तन करते हुए किरणों के बाण आग चुभाते है नश्तरों के ...
-
एहसान या क़र्ज़ कहाँ होता है इस दुनिया में ??? ये तो रिश्तोंको जोड़े रखने का बहानाभर होता है .... बस मिट्टी के टीले पर बैठे हुए नापते है ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें