मेरी आँखों को तेरी नज़र दे दे ,
अय दोस्त मुझ पर रहमत कर दे ...
मेरे भीतरसे ये दुनियाकी और का रास्ता
आँख की खिड़कीसे होकर गुजरता है ....
मेरा भीतर मेरे लब्ज़ मेरी आँखमें सजते है ,
बस ये पढनेकी जरासी जेहमत कर दे ....
मेरी आँखे सुन्दर नहीं
पर हर सुन्दरताकी खोज कर लेने की
नज़र रख लेती है थोड़ी थोड़ी ...
बस इतनीसी इल्तजा है
मेरी ये आँखको तु एक नज़र दे दे ...देख ले ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

-
खिड़की से झांका तो गीली सड़क नजर आई , बादलकी कालिमा थोड़ी सी कम नजर आई। गौरसे देखा उस बड़े दरख़्त को आईना बनाकर, कोमल शिशुसी बूंदों की बौछा...
-
रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
waah !
जवाब देंहटाएंbahut khoob !