19 सितंबर 2010

उफ़ तेरी अदा जिंदगी !!!

रिश्तों का आगाज़ से अंजाम तक का सफ़र जिंदगी
सुबह से दोपहर के दोराहे पर ठहरती जिंदगी
दोपहरसे सांज तक सरकती रहती जिंदगी
थक कर रात की आगोशमें सो जाती जिंदगी ......
हर पल नए रंग लाती जिंदगी
कभी आंसू कभी हँसी के तोहफे दे जाती जिंदगी
कभी खिलखिलाती कभी खामोश खड़ी हो जाती जिंदगी
कभी अनकही दास्ताँ कभी होठो पर हर पल रहता अफसाना जिंदगी
तुझे किस रूप में चाहा किस रूप में सराहा जिंदगी
तुझे किस रूपमें दुत्कारा किस रूपमें नकारा जिंदगी
फिर भी तुम मेरे परछाई बन साथ चलती रही हरदम
अँधेरे में छुप जाती रोशनी में नज़र आती जिंदगी .....

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