8 सितंबर 2010

हम या तुम .....

तेरी लिखावटमें हर मोड़ पर मूड जाता हूँ ,
तेरे एहसासको खुद में बारूदकी तरह फूटता हुआ पाता हूँ ,
तेरी हँसीको फिजाओंमें बिखरते हुए पाता हूँ ....
आयने में तेरी तस्वीर खुद की जगह देखता रहता हूँ .......

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