ना मिलना तुम्हारा अब आदत बन चुकी है ,
इश्ककी वेदी पर मेरी मोहब्बत शहादत बन चुकी है ,
तुम मिलोगी तब शायद खामोश ही रह जाऊँगा ,
अब तो यादोंके मेलेमें जीनेमें भी राहतसी मिल चुकी है ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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एहसान या क़र्ज़ कहाँ होता है इस दुनिया में ??? ये तो रिश्तोंको जोड़े रखने का बहानाभर होता है .... बस मिट्टी के टीले पर बैठे हुए नापते है ...
अच्छी पंक्तिया है ..... ....
जवाब देंहटाएंhttp://oshotheone.blogspot.com/