28 अगस्त 2010

हेलो हेलो ....अ फोन कोल ...

-सर ,क्या मैं अन्दर आ सकती हूँ ?
- हाँ ,बोलो आज कहाँ जाना है ? =हंसकर आलोकने पूछा ।
-सर ,आज मेरे आंटी अस्पतालमें है ,उन्हें टिफिन पहुँचाना है ।
- ओ .के । यु मे गो ....
थोड़ी देर मे रीटाने सारा काम निपटाया और आलोक की केबिन मे रखकर चली गयी ...उत्सुक वहां पर ही था .उसने आलोक से पूछा - तुम इतनी आसानी से छुट्टी कैसे दे देते हो ?
आलोक ने हंसकर कहा - जो काम उसे कल करना था वो भी आज उसने कर दिया और देखना कल वो जल्दी भी आएगी और डबल उत्साहसे काम करेगी ...एच आर डी पालिसी को नहीं इंसानियत को फोलो करता हूँ ...
थोड़ी देर मे एक बोर क्लायंट को भी बड़ी ही नरमी से बात करके फोन रखा ...
अब उत्सुकने पूछा : यार तुम ऐसे लोग को कैसे सह लेते हो ?
आलोकने कहा : कल रविवार है .इसका जवाब अगर चाहिए तो कल सुबहमे आठ बजे तुम तैयार रहना मैं तुम्हे पिक करूँगा ।
उत्सुक तैयार था .ठीक आठ बजे आलोक उसे लेने आया .आलोकने कार एक ख्रिस्ती कब्रस्तान के सामने पार्क की .एक बेहद खुबसूरत बुके ख़रीदा .और अन्दर एक कब्र पर जाकर मोमबत्ती जलाई और बुके रख दिया .कब्र पर लिखा था जेनी दीसोज़ा .उत्सुक शांत खड़ा रहा .आलोकने मन ही मन प्रार्थना भी की .लगभग पंद्रह मिनट वहां पर बैठने के बाद दोनों बरिस्ता कोफ़ी शॉप मे गए .आलोक ने अब कहना शुरू किया ।
ये जेनी की कब्र थी .एक फ्री लांसर आर्टिस्ट थी .अपना गुजारा हो जाए उतने दिन एड एजेंसीमे काम करती रहती थी .अगर फिक्स अमाउंट मिल गयी तो महीने के बाकी के दिन छुट्टी मनाती थी .बड़ी बिंदास । खुद से बहुत प्यार करती थी .हमेशा खुश .मेरे ऑफिस के लिए भी काफी काम किया है .उसकी टेलेंट जबरदस्त थी ।
एक दिन उसने मुझे कहा : आलू ,वो मुझे आलू कचालू ही कहती थी .आलू ,तुम पेरिस जाओ और फेशन कोरियोग्राफर बन जाओ और फोटो जर्नलिजम भी करो क्योंकि उसमे तुम आसमां छू सकते हो । उसकी बात मे दम था ..शायद मेरा सपना उसने कहा था .पर मेरे पास पैसे नहीं थे .एक दिन उसने मुझे एक एन्वेलाप थमा दिया .पेरिस के सबसे बड़े फेशन स्कुल मे एडमिशन करा दिया था उसने .थोड़े दिन पहले उसने मेरे पास पच्चीस हज़ार रूपये मांगे थे .और छ महीने के बाद वापस करने का वादा किया था । लेकिन ये खर्चा तो पूरा ढाई लाख होता है ।
मैंने पूछा तो बोली : देखो मैंने अपना फ्लेट किराये पर दे दिया मैं एक रूम किचन के स्टूडियो अपार्टमेन्ट मे रहने चली गयी .उससे महीने दस हजार रूपये मिल रहे थे वो बचत और मेरी मा के नेकलेस को मैंने गिरवी रखा तो उस पर साथ हज़ार मिल गए .तुम वापस करोगे तब छुड़ा लुंगी ।
और उसने मुझे पेरिस भेज दिया ...तुम सोच रहे होगे वो मेरी तरह यंग होगी ,पर नहीं वो मुझसे उम्र मे बीस साल बड़ी थी । उसके पति फ़ौज मे शहीद हो गए थे और संतान नहीं थी उसकी .फिर भी जिंदगी उसके लिए खुबसूरत थी .पेरिससे मैं लौटा तब मेरी जिंदगी बदल गयी .दिन रात बिजी रहने लगा ॥
वो मुझे फोन करती तो कहता : आई विल कोल बेक लेटर ओन ...और फोन करता ही नहीं .वो मुझे इ मेल करती तो जवाब नहीं देता ...जब फोन आता तो मैं कोंफरंसमे बीजी होता था .मैंने उसका सारा कर्जा सिर्फ एक महीने मे चूका दिया । अब मेरी लोकप्रियतामे सफलता मे मैं चकनाचूर होने लगा ...मुझसे शायद जेनी दूर होने लगी ...
एक दिन मैं कोंफरंसमे था .उसका कोल आया .मैंने उसकी आवाज सुनकर ही कह दिया .मैं बहुत बीजी हूँ जेन .आई विल कोल यु लेटर ओन ....
दो दिन बीत गए ना उसका कोल आया ना मेल .मुझे लन्दन जाना था ..वहां पर एक सप्ताह रहा और लौटा .मेल चेक किये पर जेनी का नहीं था .आंसरिंग मशीन पर भी उसका कोई मेसेज नहीं ...मैंने कोल किया ...तो कोई रिस्पोंस नहीं .मुझे बेचेनी हो गयी .शाम मैं उसके घर गया तो ताला था दरवाजे पर ।
पडौसीसे पूछा तो उन्होंने कहा : जेनी की दस ग्यारह दिन पहले मौत हो गयी ।
मैं वहां पर बुत सा खड़ा रहा .मुझे आघात लगा .जेनी का आखरी कोल अस्पतालसे था जहाँ वो एक कार एक्सिडेंट की शिकार हो कर जिन्दगी और मौत से लड़ रही थी और उसके ठीक एक घंटे के बाद उसकी मौत हो गयी थी ।

तबसे हर रविवार उसकी कब्र पर आता हूँ .इसी तरह .....ये रीटा पहले जूठ बोलकर छुट्टी मांगती थी .एक दिन मैंने उसे पिटर के साथ एक रेस्टोरंटमे बैठकर नाश्ता करते देखा .दुसरे दिन केबिन मे बुलाया और समजाया .प्यार करना गुनाह नहीं पर जूठ बोलना गुनाह है ..तुम जब भी उसे मिलना चाहो ऑफिस का काम ख़त्म करके जा सकती हो ...और वो ही बात मैंने सबके साथ आजमाई ...मैं अब हर फोन कोल एतेंद करता हूँ ...क्योंकि शायद उसी से जेनी की आत्मा को सुकून मिले ...
उत्साह की आँख से पानी बह चला ........

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