कल एक मूवी देखी जिसकी आज कल सबसे ज्यादा चर्चे है : थ्री इडियट ...
आमिरखान ,शरमन जोशी और माधवन की बेहतर अदाकारीने इस मूवी को इस सफलता एक बड़ी सफलता का स्वाद चखाया है .... हमारे देश की शिक्षण व्यवस्था पर एक करारा तमाचा मारा है इस कहानी ने ... वैसे देखे तो आमिर की फिल्म तारे ज़मीं का एक्सटेंशन ही है ये फिल्म ...जहाँ पर पहले एक बच्चे की कहानी थी तो यहाँ नौजवानों की जिन्हें अपनी पसंद की राह चुनने का हक़ या मौका नहीं दिया जाता है ...
नौजवानोंकी मस्ती भरी हुडदंग तो अच्छी ही है पर शिक्षण के साथ जुडी करुण वास्तविकता आँखों को गीला कर देती है । एक बेहतरीन प्रयोगशील युवक कुछ नया बनानेके चक्कर में आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है ...हाँ इस फिल्म के अंत में शरमन जोशी का केम्पस इंटरव्यू दिखाया है उसे ध्यान से सुनना ...सच ये लड़के का काम भी काबिले तारीफ ही है ...और फोटोग्राफर बनने के सपने संजोने वाला माधवन ..तीनो की बढ़िया केमेस्ट्री है ...और चिलाचालू समाज की तस्वीर जैसे साय्लेंसर और वायरस ...एक अच्छा मेसेज है हम माँ बाप हो या अब नोटों को छापने वाली मशीन बन गयी है वो शिक्षण संस्थाए ....
मैंने कितने सालों के बाद एक ऐसी मूवी देखी जो हाउस फुल थी और उसमे वही पुरानी सिटी बजाने का माहौल हो शोर और तालिया .......
पैसा वसूल फिल्म है .....दिमाग को लेकर जाओ और हंसो ...दोनों एक साथ .....
थ्री इडियट ......
शुक्रिया।
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विश्व का सबसे शक्तिशली सुपर कम्प्यूटर।
2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन चालू है।
बहुत अच्छी समीक्षा।
जवाब देंहटाएंआपने कहा तो देख ही ली. तारे जमीन पर की अगली कड़ी लगी. मूल उपन्यास तो पढ़ा हुआ ही था. पैसा वसुल फिल्म है जी. आल इज वेल... :)
जवाब देंहटाएंgood movie
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