४ दिसंबर ,२००८ ....
ये तारीख मेरे जीवनकी तवारीखमें एक अहम् स्थान रख रही है क्योंकि इस दिन "जिंदगी : जियो हर पल " का जनम हुआ था .आज से एक साल पहले ॥
लगभग जुलाई २००७से मैंने इन्टरनेट पर लिखना शुरू किया था .पर मैं एक लोकप्रिय सोशियल नेटवर्क साईट पर लिखती थी ..उन लोगने मुझे तभी अपना ब्लॉग लिखने के लिए कहा पर मैं वहां ही लिखती रही ...किसी कारणवश एक दिन एक मेल मिला मुझे की एक महीने के अन्दर ये साईट बंद होने जा रही है ...आप अपना डाटा सेव कर लें ...
उस वक्त मुझे हर्पिस हुआ था ...ये चिकन पाक्स होता है जो चमड़ी के बाहर नहीं पर शरीर के अन्दर नसों पर होता है ...और मुझे ये हुआ था दायें दिमागकी नसों पर ...पुरा दिन जोरोंके झटके लगते थे सर में ...और ये रोग के बारेमें जानकारी नहीं थी इस लिए जल्द पता नहीं चल पाया ...आख़िर चमड़ी के विशेषज्ञने निदान किया और इलाज शुरू हुआ ...तब तक दाई आँख तक इन्फेक्शन फ़ैल चुका था ...और ये अंधेपनमें भी परिवर्तित हो सकता था ...
मैंने अपनी पोस्ट को कभी सेव नहीं किया था ...और इस बीमारी में पढ़ना लिखना टी वी देखना सभी मना था ...सिर्फ़ आराम करना था ...तब सिर्फ़ दस मिनट तक मैं अपने कोम्प्यूटर पर ३०० के ऊपर मेरी पोस्ट सेव करने लगी ...और उसके लिए मैंने अपना ये ब्लॉग
"जिंदगी : जियो हर पल " का स्थान बनाया ...डिसेम्बर २००८ के ३५ पोस्ट ये कॉपी पेस्ट की हुई पोस्ट बनी ...और फ़िर मेरे कोम्प्यूटर पर वायरस आने के कारण मेरा सेव किया सारा डाटा नष्ट हो गया ...लेकिन मैंने देखा की मेरी लिखावटमें जो मेच्योरिटी आ रही है वो पुरानी पोस्ट में शायद नहीं थी ...कोई अफ़सोस न करते हुए मैंने फ़िर से लिखना शुरू कर दिया ....अभी भी मैं सिर्फ़ पन्द्रह मिनट ही दे पाती थी ....तीन महीने तक मुझे चिकित्सा लेनी पड़ी ...लेकिन जिस हालतमें इस ब्लॉग का जनम हुआ उसके नामकरण की वजह ये ही थी की मुझे अपनी बीमारी से लड़ते सिर्फ़ रोज के बीस मिनट के हिसाब से मेरी कलम को जिन्दा रखना था ....
आज तक जो भी पाठक यहाँ पर अतिथि बन आए है और जिन्होंने अपनी टिप्पणी देकर मेरा हौसला बढ़ाया है उन सब की मैं तहे दिल से शुक्र गुजार हूँ .......
आप सुन्दर लिखती है. वर्षगांठ की बधाई. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंवस्तुतः जीवन पल-प्रतिपल जीये जाने का नाम ही है । आपके इस चिट्ठे के अस्तित्व में आने के पीछे की कहानी गज़ब है ।
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