आज खुशियाँ कुछ उधार लेनी है
ये मुस्कराहट पर मैंने लोन पर ली है ,
दिल भी किसीको किराए पर दे रखा है ,
लोन चुकानी जो है .....
फ़िर भी मकान खाली नहीं करता है
और किराया भी अब तक बकाया है ....
चिकने चुपड़े चेहरेसे परते उखड रही है ,
उसके धब्बे और दागोंसे भी कभी घीन आती है .....
लोन पर बंगला लिया जाता है ,
साजोसामान भी किश्तों पर बसाया जाता है ....
फ़िर न दिन दीखता है न रात
इंसानकी कमर भरी जवानी में बूढा हो जाता है .....
देखो नई कारमें बैठकर जो मुस्कान आई है ना
वो भी बैंकके क्रेडिटकार्ड पर ही लायी गई है ......
चलो अब ढूँढते है उस "शान्ति " को भी
जो कहीं "आश्रम "में ही पायी जाती है .....
टैक्स बचानेमें वहां किए गए "दान" की
रसीद भी बड़े काम आती है ......
चलो अब सोने का वक्त हो गया ये नींद भी उधार आती है ,
डॉक्टरके प्रिस्क्रिप्शन पर ये गोली जो दे जाती है .......
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